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क्या हाथरस मामले को टीआरपी के खेल में मीडिया ने बनाया पीपली लाइव ?

मृतका के साथ जो हुआ वो गलत, पीड़ित परिवार को न्याय और अपराधी को कड़ी सजा जरूरी

लखनऊ ( अमरेन्द्र प्रताप सिंह) : हाथरस मामले में जो भी हुआ वो गलत है। एक मासूम लड़की के साथ अपराधी द्वारा किया गया कोई भी अत्याचार और उसकी वजह से हुयी उसकी मृत्यु निश्चित रूप से ह्त्या ही है। अपराधी के साथ हत्यारे जैसा कानूनी सुलूक हो और त्वरित न्यायिक प्रक्रिया द्वारा इन्साफ की नजीर बनायी जाए यह आवश्यक है।

सरकार की ओर से गठित एसआईटी टीम द्वारा गहनता के साथ प्रत्येक तथ्य की जांच करके वास्तविक सत्य सामने लाकर न्यायालय को अवगत कराया जाए, तथा दोषी जो भी हो उसे जल्द से जल्द कड़ी सजा मिले यह पीड़ित परिवार और पूरे समाज के लिए जरूरी है।

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मामला बेहद गंभीर है, उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर मामले से समबन्धित सभी दस्तावेज के साथ पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को 12 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होने को कहा है। न्यायालय का यह कदम सराहनीय है, पुलिस या प्रशासन ने जल्दबाजी या लापरवाही के तहत जो भी गलतियां की हैं उनका जवाब देना पडेगा। कोर्ट की इस पहल से यह विश्वास भी मजबूत होता है कि दुस्साहसिक घटना में जान गंवाने वाली लड़की के परिजनों को इन्साफ जरूर मिलकर रहेगा।

उपरोक्त बातों के बाद, अब बात करते हैं मामले के दूसरे पक्ष पर जहां कुछेक मीडिया संस्थानों ने अपने तरीके से मामले का मीडिया ट्रायल चालू कर रखा है। टीआरपी के खेल में लगे इन कुछ मीडिया संस्थानों ने हाथरस मामले को जबरन ‘पीपली लाइव’ बना दिया है। चीखते – चिल्लाते, दौड़ते -भागते, और टीआरपी के लिए लाइव ही लोगों से सपोर्ट मांगते इन रिपोर्टरों को ज़रा देखिये,सब कुछ समझ में आ जाएगा। देश दुनिया की सारी ख़बरों को छोड़कर केवल इस मामले को बढ़चढ़कर दिखाने की होड़ में लगे इन मीडिया संस्थानों के द्वारा कुछ ऐसा तमाशा खड़ा कर दिया गया कि सभी विपक्षी दलों को इस मामले तूल देने से अपनी खोई हुयी राजनैतिक जमीन पाने का मौक़ा नजर आने लगा। एक तरफ से सभी विपक्षी दल एक साथ मसले में कूद पड़े। कोई हाइवे पर 170 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकल पड़ा, किसी ने राजधानी में मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन कर दिया। बयान-ओ-ट्वीट की भरमार के साथ सोशल मीडिया पर आन्दोलनों की बाढ़ सी आगयी।

सवाल यह है कि आखिर मीडिया का यह अजीबोगरीब तमाशा इतना तेज क्यों चलाया जा रहा ? यह भी कहना शायद ठीक नहीं कि यह केवल टीआरपी का खेल है, तो फिर क्या टीआरपी के साथ इसमें कई और वजहें भी शामिल हैं? जब मामले के सभी पहलुओं की सभी प्रकार से जांच हो रही है, कोर्ट स्वतः संज्ञान ले चुका पुलिस प्रशासन को हाजिर होने का निर्देश दे चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ़ कह दिया है कि “उत्तर प्रदेश में माताओं-बहनों के सम्मान-स्वाभिमान को क्षति पहुंचाने का विचार मात्र रखने वालों का समूल नाश सुनिश्चित है। इन्हें ऐसा दंड मिलेगा जो भविष्य में उदाहरण प्रस्तुत करेगा।” ऐसे में कुछेक चैनलों के रिपोर्टर्स क्यों लगातार मामले का तमाशा बनाकर इसका मीडिया ट्रायल करने के लिए चीख-चिल्लाकर गला फाड़ रहें हैं।

एक और सवाल, ऐसी ही गलत और आपराधिक घटनाएं इसी दौरान बुलंदशहर, आजमगढ़ और बलरामपुर में हुयी हैं, ज्यादातर घटनाओं को एक ही समुदाय के अपराधियों ने अंजाम दिया फिर वहां के मामलों को लेकर इतना ही तेज मीडिया ट्रायल और विपक्ष का विरोध क्यों नहीं?
कहीं ऐसा तो नहीं कि बहुसंख्यक समुदाय और जाति विशेष का मामला होने के कारण केवल हाथरस मामले को उछाला जा रहा है और वोट की राजनीति के चलते विपक्षी दल अन्य मामलों पर चुप्पी साधने को मजबूर हैं। गौर तलब है कि, बुलंदशहर में रिजवान, आजमगढ़ में दानिश और बलरामपुर में शाहिद और साहिल नामके अपराधी आरोपी हैं। इन तीनों जिलों में रेप की घटनाओं में एक ही समुदाय के अभियुक्त है और सभी पकड़े जा चुके हैं। तो क्या कारण है कि यूपी में समुदाय विशेष के अपराधी दरिंदगी करने पर भी विपक्ष के निशाने पर नहीं हैं।
हाथरस मामले को मीडिया ने पीपली लाइव बना दिया है। अगर यह टीआरपी का नहीं, इंसाफ दिलाने का मसला है, तो बुलंदशहर, आजमगढ़, बलरामपुर और राजस्थान क्यों नहीं जा रहे ये चैनल वाले, क्या वहां दरिंदगी नहीं हुई या लड़कियों ने खुद अपना रेप करके अपने हाथों से अपनी हत्या कर ली ?

यह सही है कि लड़की के साथ जो भी हुआ गलत हुआ, और उसकी मौत के जिम्मेदार के साथ कोई नरमी नहीं होनी चाहिए, उसे जल्द से जल्द, कडी कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, परन्तु जब 2 जगह की रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई, जीभ कटने की बात गलत साबित हुई, मृतका का वीडियो में बयान और उसकी पारिवारिक सदस्य राधा का वीडियो में बयान सामने है। पहले शिकायत पत्र में केवल जान से मारने की कोशिश का जिक्र कर 1 आरोपी की शिकायत दी गई, वो भी सामने है। यह सब अब सामने आ गया है। फिर भी केवल टीआरपी की चक्कर में इतनी बड़ी नौटंकी क्यों……? घटना की जांच के लिये SIT बनाई गई है। कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है, मुख्यमंत्री सख्त बयान दे चुके हैं, पूरी जांच रिपोर्ट तो आने दीजिये तभी तो सच का पता चलेगा।

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