दिव्यांगो ने मांगों के लिए शुरू की पैदल यात्रा ,17 नवंबर को पहुंचेंगे गुना
भोपाल : मध्य प्रदेश में अपनी 10 सूत्रीय मांगो मांगों को लेकर दिव्यांगों ने पैदल यात्रा निकाली। दिव्यांग राघौगढ़ से गुना पैदल ज्ञापन देने आ रहे हैं। मंगलवार को यात्रा का दूसरा दिन था। इस प्रदर्शन की जानकारी लगते ही कलेक्टर फ्रेंक नोबल और एसपी पंकज श्रीवास्तव मौके पर पहुंचे। इस दौरान कलेक्टर ने दिव्यांगों से कहा वो खुद ज्ञापन लेकर उनकी मांगें शासन स्तर तक पहुंचा देंगे।
बताया जा रहा है कि कलेक्टर की इस बात को दिव्यांगों से अनसुना कर दिया। दिव्यांगों ने कहा कि उनकी लड़ाई प्रशासन से नहीं है उनकी लड़ाई शासन से है। इसलिए वो अपने आंदोलन के तहत 17 नवंबर तक पैदल चल कर ही गुना पहुंचेंगे। और उसी दिन अपना ज्ञापन सौंपेंगे। मालूम चला है कि अब इस यात्रा को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस के नेता जयवर्धन सिंह और लक्ष्मण सिंह ने भी इस आंदोलन को सहयोग कर दिया है।
जानकारी के अनुसार प्रदेशभर से आए करीब एक हजार दिव्यांग सोमवार को मंगल भवन में एकत्रित हुए, जिनके ठहरने और भोजन आदि की व्यवस्था संगठन व समाजसेवियों द्वारा की गई। सोमवार सुबह 10 बजे हरी झंडी दिखाकर दिव्यांग स्वाभिमान यात्रा की शुरुआत की।
दरअसल दिव्यांग स्वाभियान यात्रा के अध्यक्ष सुनील पंत ने बताया कि हमारी मांगें प्रशासन से नहीं हैं शासन से हैं। हम 17 तारीख को गुना पहुंचकर ही कलेक्टर को ज्ञापन देंगे। दिव्यांग स्वाभिमान यात्रा की तैयारी दिव्यांगजनों द्वारा पिछले एक साल से की जा रही थी। अपने स्तर और प्रदेश में घूमकर दिव्यांगों को इस यात्रा में शामिल होने का निवेदन किया।
दिव्यांगों ने बताया कि ये सिर्फ उनकी कुछ मांगे नहीं है बल्कि उनकी तकलीफ और उनका दर्द है। जिसे शासन सुनकर भी अनसुना कर रहा है। इसलिए इस यात्रा के जरिेए वह और दर्द सहकर सरकार तक पहुंचा रहे हैं। समाज का सबसे कमजोर और पीडि़त वर्ग यदि कोई है तो वो दिव्यांग है। इस यात्रा के बाद भी सरकार यदि हमारी मांगों को पूरा नहीं करती है तो वह भोपाल मख्यमंत्री आवास तक भी पैदल यात्रा निकालेंगे।
10 सूत्रीय मांगे
दिव्यांगों का रिजर्वेशन होरीजोंटल से वर्टिकल किया जाए।
आउटसोर्स भर्ती में दिव्यांगों को प्राथमिकता दी जाए।
यदि दोनों दिव्यांग हैं, तो 2 लाख और यदि 1 दिव्यांग है, तो 5 लाख रुपये दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन राशि दी जाए।
पेंशन को 600 से बढ़ाकर 5000 रुपये प्रतिमाह किया जाए।
सामाजिक न्याय निशक्तजन कल्याण मंत्रालय से निशक्तजन कल्याण मंत्रालय को अलग किया जाए।
पंचायत, विधानसभा, संसद सभी पटलों पर दिव्यांगों को अनिवार्य रूप से प्रतिनिधित्व दिया जाए।
सभी भर्तियों में बैकलाक के पद दिए जाएं।
शिक्षा के क्षेत्र में निश्शुल्क उच्च शिक्षा के अवसर और मुफ्त छात्रवास का प्रावधान हो।
प्रत्येक जिले में दिव्यांग सहायता केंद्र की स्थापना हो, जो दिव्यांग योजनाओ को समझाकर उनका समुचित क्रियान्वयन कर सकें।
दिव्यांगों के लिए आयुक्त एवं मुख्य आयुक्त के पद पर दिव्यांग व्यक्ति की ही नियुक्ति की जाए।