इस दिन कर लें बस ये छोटा-सा काम, कोसों दूर चला जाएगा दुर्भाग्य
नई दिल्ली : ज्योतिष का मानें तो इस दिन पवित्र नदी में स्नान के साथ यदि आप कुछ खास उपाय करते हैं तो आप पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी और आपके जीवन में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है.
इस पुर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे. ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है. इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है.
इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फाल मिलता हैइस दिन पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में वृषदान यानी बछड़ा दान करने से शिवपद की प्राप्ति होती है. जो व्यक्ति इस दिन उपवास करके भगवान भोलेनाथ का भजन और गुणगान करता है उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है. इस पूर्णिमा को शैव मत में जितनी मान्यता मिली है उतनी ही वैष्णव मत में भी.
आइए जानते हैं कब है कार्तिक माह की पूर्णिमा और इस दिन कैसे करें स्नान दान…
कार्तिक माह के पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 07 नवंबर की शाम 04 बजकर 15 मिनट से हो रही है, जिसका समापन 08 नवंबर की शाम 04 बजकर 31 मिनट पर होगा. कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 08 नवंबर को रखा जाएगा. इस दिन स्नान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 57 मिनट से लेकर 05 बजकर 49 मिनट तक है.
कार्तिक माह में भगवान विष्णु का नदियों में वास होता है. ऐसे में कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से हमारे सभी पाप धूल जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु के मत्स्य रूप को तुलसी दल चढ़ाएं, साथ ही इस दिन नदी किनारे दीपदान करें. इसके साथ ही इस दिन स्नान करने के पश्चात आप जरुरद मंदों को जूते-चप्पल, गर्म कपड़े और अन्न का दान करें. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ये सारे काम करने से हमारे जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता है.
ऐसी मान्यता है भगवान विष्णु कार्तिक माह में मत्स्य रूप में नदी में रहते हैं. ऐसे में कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन स्नान करने मात्र हमारे सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, जिससे हमें मृत्यु पश्चात बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय, मां लक्ष्मी की कृपा से खुल जाएगा बंद किस्मत का ताला
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा-यमुना में कुशा स्नान करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हाथ में कुशा लेकर पवित्र नदी में स्नान कर दान अवश्य करें। मान्यता है कि ऐसा करने से रोगमुक्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के प्रवेश के लिए घर के मुख्य द्वार पर हल्दी मिश्रित जल से स्वास्तिक का निर्माण करें। इसके साथ ही आम के पत्तों का तोरण लगाएं। ऐसा करने से घर में माता लक्ष्मी का आगमन होता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा घाट या किसी भी पवित्र नदी के घाट पर दीप जलाने और दीपदान करने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही घर में सुख समृद्धि आती है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के पास दीप जला कर, उसकी जड़ की मिट्टी का तिलक लगाने से हर कार्य में सफलता मिलती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव का पूजन भी किया जाता है। इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन शिव लिंग पर दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल का पंचामृत चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र में कुशा स्नान करना चाहिए. इससे व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दुर्भाग्य से छुटकारा मिल जाता है. बता दें कि कुशा स्नान के लिए एक कुशा हाथ में लेकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. इस दिन दान का विशेष महत्व बताया गया है. इससे आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है.
इस दिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं. इससे भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है. साथ ही, तुलसी के पौधे की जड़ से मिट्टी लेकर उसका तिलक लगाएं. ऐसा करने से व्यक्ति को सभी कार्यों में सफलता मिलती है और भगवान विष्णु प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव का खास पूजन किया जाता है. इस दिन भगवान शिन को दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से बने पंचामृत आदि अर्पित किया जाता है. साथ ही, उन्हें बेलपत्र भी अर्पित करें. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. भक्तों पर जमकर कृपा बरसाते हैं.