नई दिल्ली : एसिडिटी (Acidity) और हार्टबर्न (Heart Burn) की शिकायत यदि आपको रहती हैं तो आप इस बात से अच्छी तरह वाकिफ होंगे कि यह कितनी ज्यादा तकलीफ देता है। इसे एसिड रिफ्लक्स (Acid Reflux) भी कहते हैं। एसिडिटी (Acidity) का मुख्य कारण पाचन विकार होता हैं जो कि बहुत सामान्य होता है।
आज के समय में सभी लोगों जैसे बूढ़े, युवा और बच्चें सभी एसिडिटी से परेशान रहते हैं और इन सबका कारण उनकी अनियमित जीवनशैली और असंतुलित आहार हैं। यदि आपको बार-बार एसिडिटी हो रही हैं तो जान लें कि यह कोई बीमारी की ओर संकेत तो नहीं दे रही हैं जानें किन बीमारियों से आप हो सकते हैं ग्रसित:
पेट में बनने वाले पाचन एसिड्स बहुत मजबूत होते हैं। एसिडिटी होने पर पेट में लगातार पाचन एसिड्स बनने लगते हैं और इस वजह से पेट की लाइनिंग को दिक्कत होने लगती है जोकि पेट के अल्सर का भी रूप ले सकती है। ये एक गंभीर बीमारी है।
ओसोफेगस एक मस्कुलर ट्यूब होती है जोकि गले और पेट को जोड़ती है और इसी के जरिए खाना और पानी हमारे शरीर के अंदर जाता है। जब एसिडिटी होती है तो पेट में बहुत ज्यादा एसिड बनने लगता है और ये ओसेफेगस में भी पहुंच जाता हैं और इस ट्यूब को दिक्कत देने लगता है। इसमें जलन भी होती है। इस समस्या को ओसोफेगिटिस कहा जाता है। इस बीमारी के लक्षण हैं गले में खराश, निगलने में दिक्कत, सीने में दर्द, सांस लेने में परेशानी, फ्लू आदि।
जब पेट की मांसपेशियों का एक हिस्सा पेट के क्षेत्र में डायाफ्राम (मांसपेशी परत जो छाती और पेट को अलग करता है) के माध्यम से ढकेलता है, तो यह हाइटल हर्निया बीमारी का कारण बनता है। इस बीमारी में खाना और पाचन एसिड पेट से वापस सीने में आने लगता है। इस वजह से एसिडिटी हो जाती है। अगर आपको हाइटल हर्निया है तो तुरंत डॉक्टर से इलाज करवाएं।
अगर आपको लगातार एसिडिटी की शिकायत रहती है तो आपको नियमित चेकअप करवाते रहना चाहिए। पेट कैंसर का शुरूआती चरण एसिडिटी ही होता है क्योंकि कैंसर कोशिकाएं पेट की लाइनिंग को दिक्कत देती हैं और अत्यधिक पाचन फ्लूइड पैदा करती हैं। इसलिए एसिडिटी को नजरअंदाज करना पेट के कैंसर का कारण भी बन सकता है। अगर आपको लगातार एसिडिटी की समस्या रहती है तो आपको तुरंत चैकअप करवा लेना चाहिए।
बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि एसिडिटी और हार्ट बर्न हार्ट अटैक का शुरूआती संकेत होता है। हार्ट अटैक से पहले सीने में जलन, छाती में कसावट, जी मितली आदि संकेत मिलते हैं। कुछ एसिडिटी को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। हार्ट अटैक आने से पहले आपको इस समस्या का निदान कर लेना चाहिए।
पित्ताशय में पाचन फ्लूइड के जम जाने पर उसमें पथरी भी बन सकती है। एक से ज्यादा पथरी होने पर ये बाइल को बंद कर देते हैं और इसके कारण पाचन फ्लूइड पेट में ज्यादा बढ़ने लगते हैं और एसिडिटी पैदा करते हैं इसलिए एसिडिटी को पथरी का कारक भी माना जाता है।
इसे जीईआरडी भी कहा जाता है जोकि एसिडिटी की एक पेरेंट डिसीज है। आमतौर पर ये दोनों बीमारियां साथ ही होती हैं। ये एक पाचन विकार है जिसमें पाचन में अत्यधिक फ्लूइड बनने की वजह से पेट में जलन होने लगती है और ये एसिडिटी का कारण बनता है। कभी-कभी एसिडिटी होने का मतलब ये नहीं है कि आप जीईआरडी से ग्रस्त हैं। ये अस्वस्थ आहार की देन है। हालांकि, स्वस्थ आहार लेने पर भी बार-बार एसिडिटी हो सकती है और यही जीईआरडी का लक्षण है और इसे तुरंत इलाज की जरूरत है।