नई दिल्ली : हमारे शरीर में कई ऐसी परेशानियां हैं जो तत्काल दुख नहीं देती लेकिन अगर इन्हें नजरअंदाज कर दिया जाए तो यह आगे जाकर घातक बीमारियों का कारण बन सकती है. हम में से अधिकांश लोगों को कभी-कभार पैरों की मांसपेशियां बहुत खतरनाक तरीके से क्रैंप आ जाता है. यानी पैरों के निचले हिस्से की मांसपेशियों वाला जो भाग है, उसमें ऐंठन या कड़ापन हो जाता है और मांसपेशियां अपनी जगह से थोड़े आगे-पीछे हो जाती है. इस हिस्से को काफ मसल्स कहते हैं। यह होती एक-आध मिनट के लिए ही है लेकिन इसमें दर्द की टीस इतनी तेज होती है कि लगता है कि करंट के झटके लग गए. किसी की भी चीख निकल जाती है। आमतौर पर यह देर रात या 4 से 5 बजे सुबह के आसपास होता है. एक-आध मिनट के बाद मांसपेशियां अपनी जगह चली जाती है जिससे दर्द भी खत्म हो जाता है. लेकिन अगर यह ज्यादा परेशान करता है तो यह आगे जाकर किडनी फेल्योर का भी कारण बन सकता है.
मायो क्लिनिक के मुताबिक सामान्य तौर पर अधिकतर मामलों में पैरों में क्रैंप का कारण पता नहीं चलता. यह मसल्स और नर्व में दिक्कतों के कारण हो सकता है. उम्र के साथ पैरों में क्रैंप की परेशानी बढ़ती जाती है. प्रेग्नेंट महिलाओं को यह समस्या ज्यादा होती है. इसके अलावा कुछ लोग ऐसी दवाइयां लेते हैं जिससे रात में ज्यादा पेशाब होता है. इस कारण भी रात में पैरों में क्रैंप हो सकता है. लेकिन कई बार पैरों में क्रैंप के घातक कारण हो सकते हैं. जैसे कि किडनी फेल्योर या सिरोसिस. वहीं गतिहीन जीवनशैली, बहुत ज्यादा एक्सरसाइज, बैठने के तरीकों में गलती, बहुत देर तक खड़ा रहना, नर्व की दिक्कतें आदि भी इसके कारण हो सकते हैं।
इन स्थितियों में भी पैरों में क्रैंप
- एक्यूट किडनी फेल्योर भी पैरों में क्रैंप की वजह हो सकती है.
- एडीसन डिजीज.
- अल्कोहल डिसॉर्डर.
- एनीमिया यानी हीमोग्लोबिन की कमी.
- क्रोनिक किडनी डिजीज.
6.सिरोसिस की बीमारी. - डिहाइड्रेशन
- हाई ब्लड प्रेशर.
9.हाइपोग्लेसीमिया. - हाइपोथायराइड.
- गतिहीन जीवनशैली.
- ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल की दवाइयां.
- पार्किंसन डिजीज.
हालांकि पैरों में क्रैंप एक-दो मिनट में अपने आप ठीक हो जाता है. लेकिन यदि इस इसमें मसाज या स्ट्रैच किया जाए तो इससे जल्दी छुटकारा पाया जा सकता है. जब भी पैरों में क्रैंप आए और दर्द बहुत तेज हो तो हील्स पर या तलवों के बल पर कुछ समय वॉक करें. चलते-चलते ही पैरों का क्रैंप खत्म हो जाएगा।