उत्तर दिशा में बैठकर न करें शिव की पूजा, बायां अंग है देवी गौरी का
नई दिल्ली : शिव का अर्थ है कल्याण और आनंद। शिव अनंत हैं। शास्त्रों में भोलेनाथ की आराधना के लिए कुछ नियम बताए गए हैं। कहा गया है कि सही विधि और सही दिशा में बैठकर ही शिव पूजा का फल प्राप्त होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि सावन माह शिवजी को अर्पित है। इस पूरे माह शिवजी की पूजा आराधना की जाती है। इस माह में शिवलिंग की पूजा बहुत फलदायी मानी गई है, कहा जाता है कि सावन माह में शिवजी बहुत प्रसन्न रहते हैं। धर्माचार्यों और शास्त्रों के अनुसार वैसे तो हर दिन महादेव की उपासना के लिए है लेकिन सोमवार का दिन विशेष तौर पर उत्तम माना गया है। शिव पूजा करते समय कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए। फिर चाहे यह पूजा आप मंदिर में करें या अपने घर में स्थापित शिव मंदिर में, पूजा करते समय कुछ सावधानियाँ रखनी चाहिए। आज हम अपने पाठकों को शिव पूजा करते समय रखी जानी वाली कुछ सावधानियों के बारे में बताने जा रहे हैं।
किस दिशा में बैठकर करें शिवलिंग की पूजा
- शास्त्रों के अनुसार अगर आप सुबह के समय शिवलिंग का अभिषेक करते हैं तो अपना मुख पूर्व की ओर करके महादेव की उपासना करें। यदि आप शाम के वक्त भी शिवलिंग की पूजा करते हैं तो ऐसे में अपना मुख पश्चिम दिशा की ओर रखें।
- विशेष मनोकामना हेतु रात्रि में भी शिव की आराधना की जाती है। इस दौरान जातक को अपना मुख उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। मंत्र जाप, पाठ करने के लिए पूर्व या उत्तर दिशा उत्तम मानी गई है।
- भगवान शिव के बाएं अंग में देवी गौरी का स्थान है इसलिए ध्यान रहे कि कभी उत्तर दिशा में बैठकर शिव की पूजा न करें।
- शिवलिंग से दक्षिण दिशा में बैठकर पूजन करने से मनोवांछित फल मिलता है।
शिवलिंग घर में हो या मंदिर में इनकी वेदी का मुख हमेशा उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए। शिवलिंग में शिव और शक्ति दोनों विद्यमान हैं इसलिए जहाँ शिवलिंग होता है वहाँ ऊर्जा का प्रभाव बहुत अधिक रहता है।