पितृ पक्ष के दौरान करें ये खास उपाय, पितृ दोषों से मिलेगी मुक्ति, दुख- दर्द होगा दूर
नई दिल्ली : सनातन धर्म मे पितृ पक्ष का महीना पितरों की आत्मा को तृप्त करने के लिए जाना जाता है, जिसमे पितरों को याद किया जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima) से शुरू होने वाले पितृ पक्ष में पितरों को श्राद्ध और पिंडदान (Shradh and Pind Daan) करने से परिवार में सुख समृद्वि और शांति (happiness and peace) आती है। परिवार की सभी बाधाएं दूर हो जाती है। हिन्दू शास्त्रों(Hindu scriptures), पुराणों और संहिताओं में बताया गया है कि जब तक पितृ ऋण से मुक्ति नही मिलती है, तब तक ईश्वर भी प्रसन्न नही होते हैं।
वैदिक शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म मे पांच यज्ञों के महत्व को बताया गया है। जिसमे ब्रम्हयज्ञ, पितृ यज्ञ, देव यज्ञ, भूत यज्ञ और मनुष्य यज्ञ की चर्चाएं मिलती हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष का प्रारम्भ 10 सितंबर भाद्रपद पूर्णिमा दिन शनिवार से हो रहा है, जो अश्विन माह के अमावस्या (amaavasya) तक पंद्रह दिनों तक है। तीन प्रकार के ऋणों में पितृ ऋण को उतारने का सबसे सरलतम उपाय भाद्रपद में पिंडदान करना है।
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ज्योतिषशास्त्र (Astrology) के अनुसार कई तरह के दोष होते हैं जिनकी वजह से जीवन में परेशानियां आने लगती है। उन्हीं दोषों में से एक है पितृ दोष। पितृ दोष की वजह से कई तरह की परेशानियां होने लगती है। पितृ दोष दूर करने के लिए उपाय किया जाता है।
पितृ दोष क्या होता है?
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति बनने पर पितृ दोष लग जाता है। सूर्य के तुला राशि में रहने पर या राहु या शनि के साथ युति होने पर पितृ दोष का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके साथ ही लग्नेश का छठे, आठवें, बारहवें भाव में होने और लग्न में राहु के होने पर भी पितृ दोष लगता है। पितृ दोष की वजह से व्यक्ति का जीवन परेशानियों से भर जाता है।
इस दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। पितरों का स्मरण कर पिंड दान करना चाहिए और अपनी गलतियों के लिए माफी भी मांगनी चाहिए।
इस दिन गाय को भोजन अवश्य कराएं। इस बात का ध्यान रखें कि आपको गाय को सात्विक भोजन ही करवाना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय को भोजन कराने से पितृ दोष दूर हो जाता है।