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क्या स्पर्म की क्वालिटी पर भी असर डालता है कोरोना ? रिसर्च में सामने आईं हैरान कर देने वाली जानकारियां

लंदन। कोरोना संक्रमण को लेकर रिसर्च में हैरान कर देने वाली जानकारियां सामने आई हैं। लंदन की एक यूनिवर्सिटी की रिसर्च में सामने आया है कि कोविड-19 संक्रमण स्पर्म की क्वालिटी को डैमेज करता है। संक्रमित के ठीक होने के बाद भी महीनों तक उसके स्पर्म पर इसका असर रहता है। इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन ने बेल्जियम के 120 कोरोना संक्रमितों पर रिसर्च के बाद ये जानकारी दी है। सभी संक्रमितों की उम्र 35 साल के आसपास थी। सभी को ठीक हुए 1 से 2 महीने का समय ही बीता था। रिसर्च के मुताबिक कोरोना वायरस पुरुषों की स्पर्म मोटिलिटी और स्पर्म काउंट पर बुरा प्रभाव डालता है।

जब 1 महीने पहले ठीक हुए मरीजों के स्पर्म की जांच की गई, तो सामने आया कि 60 फीसदी मरीजों की स्पर्म मोटिलिटी और 37 फीसदी के स्पर्म काउंट पर असर पड़ा। जब 1 से 2 महीने के अंदर दोबारा जांच की गई, तो 37फीसदी की स्पर्म मोटिलिटी और 29 फीसदी का स्पर्म काउंट प्रभावित मिला। वहीं, 2 महीने बाद जांच करने पर 28फीसदी की स्पर्म मोटिलिटी और 6फीसदी का स्पर्म काउंट कम मिला। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि ओमिक्रॉन, डेल्टा जितना ही खतरनाक है। 2 लाख कोरोना संक्रमितों पर यह रिसर्च किया गया। इसमें से करीब 11,329 लोग ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित थे। रिसर्च के मुताबिक दूसरे कोरोना वेरिएंट से संक्रमित मरीज को दोबारा संक्रमित होने के खिलाफ 6 महीने तक 85फीसदी सुरक्षा मिलती थी, लेकिन ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीज को मिलने वाली सुरक्षा 19 फीसदी तक हो सकती है। ओमिक्रॉन से दोबारा संक्रमित होने का खतरा डेल्टा के मुकाबले 5.4 फीसदी ज्यादा है।

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