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खत्म होगी डॉलर की बादशाहत, वैश्विक स्तर पर व्यापार के लिए उपलब्ध होगा डिजिटल रूपी

नई दिल्ली : आरबीआई ने हाल ही में डिजिटल रूपी पेश किया है। इस ऐतिहासिक कदम से न सिर्फ सरकार के डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी बल्कि अमेरिकी डॉलर की बादशाहत को भी झटका लगेगा। जानकारों की मानें तो यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका ने जिस तरह रूस के विदेशी मुद्रा भंडार पर पाबंदी लगा दी। इससे कई देश समझ गए कि वैश्विक स्तर पर व्यापार के लिए डॉलर पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है।

डिजिटल मुद्रा दुनियाभर के देशों की यह चिंता कम कर सकता है। पहले ईरान और अब रूस ने जो रास्ता दिखाया है, उसका असर आने वाले दिनों में यह हो सकता है कि भारत अन्य देशों से कारोबार में रुपये में लेनदेन के विकल्प पर जोर देगा। इससे डॉलर पर निर्भरता कम होने के साथ निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

आरबीआई के कार्यकारी निदेशक अजय कुमार चौधरी का कहना है कि डिजिटल रूपी मुद्रा प्रणाली के सिस्टम में दक्षता लाएगी। भुगतान के तरीके में नया लचीलापन देने के साथ विदेश में होने वाले भुगतान को भी बढ़ावा देगा। सामाजिक और आर्थिक परिणामों से होने वाले नुकसानों से भी बचा जा सकेगा।

डिजिटल रुपये का इस्तेमाल यूपीआई, एनईएफटी, आरटीजीएस, आईएमपीएस, डेबिट/क्रेडिट कार्ड आदि के जरिये भुगतानों के लिए किया जा सकता है। यह पारंपरिक ऑनलाइन लेनदेन से अलग है।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को इस साल विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इससे छोटे उद्योग बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए। उद्यम पोर्टल के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में एक अप्रैल से 8 दिसंबर के बीच उद्यम-पंजीकृत 7,995 एमएसएमई बंद हुए। इस बीच, एमएसएमई ने 1.31 करोड़ लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए।

ईसीएलजीएस ने इस साल 13.5 लाख छोटे उद्योगों व 1.5 करोड़ रोजगार बचा लिया।
सरकार का 2024-25 तक 5 करोड़ और रोजगार देने का लक्ष्य है।

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