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चीन में मस्जिदों से हटाई जा रहीं गुंबदें, मुस्लिमों की पहचान को खत्म करने पर तुला ड्रैगन?

नई दिल्ली: चीन के खतरनाक इरादों से जहां दुनिया परेशान है, वहीं चीन में अल्पसंख्यक समुदाय सरकार के अत्याचार से तंग आ चुका है। चीन ने मुस्लिमों की सांस्कृतिक पहचान को खत्म करने के लिए मस्जिदों से गुंबद और मीनारें हटाकर उनका चीनीकरण करना शुरू कर दिया है। चीन के उत्तर-पश्चिमी शहर जिनिंग में स्थित डोंगुआन मस्जिद चीन की कम्युनिस्ट सरकार की ताजा शिकार हुई है। लगभग 700 वर्षों पुरानी इस ऐतिहासिक मस्जिद के हरे गुंबदों को नष्ट कर दिया गया है।

चीन में हजारों मस्जिदों से गुंबद और मीनारें हटाने का यह अभियान एक नई नीति के तहत 2016 में छेड़ा गया था। इसके तहत आतुश के सुंगाग गांव में भी एक मस्जिद को गिरा दिया गया था। सरकार के अधिकारियों का कहना है कि गुंबद देश में विदेशी धार्मिक प्रभाव का प्रमाण हैं। इसको लेकर देशभर में विद्वानों, जातीय नीति नियामकों और मुस्लिम समुदायों के बीच एक चर्चा भी छिड़ गई है। डोंगुआन मस्जिद के बाहर अनार बेचने वाले एक मुस्लिम किसान अली का कहना है कि सरकार कहती है कि वे मस्जिदों को बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर की तरह दिखाना चाहती है। उसका कहना था कि अल्पसंख्यकों को अपने धार्मिक स्थलों के टूटने पर बोलने तक का हक नहीं है।

सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर अंकुशः
शी जिनपिंग के शासन में अल्पसंख्यकों के लिए चीन का दृष्टिकोण भेदभावपूर्ण व्यवहार में बदल गया है। चीन की यह रणनीति सोवियत दृष्टिकोण पर आधारित है, जो नागरिकों को 55 अलग-अलग जातीय अल्पसंख्यक समूहों में वर्गीकृत करती है। इनमें से प्रत्येक समूह को अपने क्षेत्र के भीतर सीमित सांस्कृतिक स्वतंत्रता दी गई है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि शी जिनपिंग के शासन में कम्युनिस्ट पार्टी एक नए दृष्टिकोण में बदल गई है, जो एकीकरण और आत्मसात करने के पक्ष में है। यह एक हैरानी की बात है।

धार्मिक कर्मकांडों को अपना रहे चीनी समुदाय
चीन में 1,300 से अधिक वर्षों तक रहने और अंतर्जातीय विवाह करने के बाद वहां के हुई मुसलमानों में सांस्कृतिक और भाषाई रूप से कई परिवर्तन आए हैं। चीन में हुई मुस्लिमों की संख्या लगभग 10.5 मिलियन (10,500,000) है, जिनकी चीन की आबादी में 1 प्रतिशत से भी कम हिस्सेदारी है। विभिन्न हुई संप्रदायों ने चीनी धार्मिक प्रथाओं को भी अपनी पूजा पद्धति में शामिल किया है। जैसे-धार्मिक समारोहों में धूप जलाना आदि। मध्य हेनान प्रांत में रहने वाला हुई समुदाय महिलाओं के नेतृत्व वाली मस्जिदों के लिए जाना जाता है। अब सवाल यह है कि आखिर जो देश खुद को मुस्लिमों के रहनुमा बताते हैं, वे अब चीन के खिलाफ क्यों नहीं बोल रहे। पाकिस्तान खुद को मुसलमानों का हमदर्द और सरपस्त बताता है, पर वह भी मुंह नहीं खोल रहा है।

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