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सोमवती अमावस्या पर ये 5 वस्तुओं का करें दान, नाराज पितर हो जाएंगे खुश

नई दिल्ली : चैत्र अमावस्या के दिन सोमवार है, इस वजह से उस दिन सोमवती अमावस्या है. सोमवती अमावस्या के अवसर पर पितरों को खुश करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं. जिन लोगों को पितृ दोष होता है या फिर जिनके पितर नाराज होते हैं, उनको प्रसन्न करने या उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तर्पण, दान, पिंडदान, ब्रह्म भोज, पंचबलि कर्म या फिर त्रिपिंडी श्राद्ध कराया जाता है. अमावस्या के दिन पितरों और उनके देव अर्यमा की भी पूजा करते हैं. यदि आप पूजा में अपने पितरों को उनके प्रिय फूल अर्पित करते हैं तो वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.

  1. सफेद फूल: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितरों को सफेद रंग के फूल प्रिय होते हैं. सफेद रंग के फूलों को अर्पित करने से नाराज पितर खुश हो सकते हैं. सफेद रंग सादगी और पवित्रता का प्रतीक होता है. इस वजह से पितरों के​ लिए सफेद वस्त्र ही दान करते हैं. पितरों की पूजा में आप कोई भी फूल नहीं चढ़ा सकते हैं, हालांकि अज्ञानतावश लोग कोई फूल चढ़ाने की गलती कर देते हैं.
  2. सोमवती अमावस्या के दिन आप अपने पितरों को कमल, चंपा, मालती और जूही के फूल भी चढ़ा सकते हैं. सफेद कमल के फूल पितरों की पूजा के लिए अच्छे रहेंगे. इन सभी फूलों में श्वेत रंग होता है. आप चाहें तो पितरों को खुश करने के लिए सफेद गुलाब का फूल भी अर्पित कर सकते हैं.

पितरों को कौन से फूल न चढ़ाएं?
पितरों की पूजा के समय लाल, काले, गाढ़े नीले रंग के फूलों को अर्पित करने से बचना चाहिए. उनको अधिक तेज सुगंध वाले फूल भी अर्पित नहीं करते हैं.

सोमवती अमावस्या 2024 मुहूर्त
सोमवती अमावस्या की तिथि की शुरुआत: 08 अप्रैल, सुबह 08 बजकर 21 मिनट से
सोमवती अमावस्या की तिथि का समापन: 08 अप्रैल, रात 11 बजकर 50 मिनट पर
सोमवती अमावस्या पर पितरों के श्राद्ध का समय: 11:30 एएम से दोपहर 03:30 पीएम तक

सोमवती अमावस्या का महत्व
8 अप्रैल को सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी. सोमवती अमावस्या के दिन प्रात:काल में स्नान करने के बाद पितरों के लिए तर्पण करते हैं और दान करते हैं. इससे पुण्य की प्राप्ति होती है. सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखते हैं और भगवान​ शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करते हैं. य​​दि यह व्रत सुहागन महिलाएं रखती हैं तो उनको अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, वहीं मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.

सोमवती अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं जैसे दूध और चावल का दान कर सकते हैं. ऐसा करने से नाराज पितर भी खुश होते हैं. उनका आशीर्वाद मिलता है और वंश की वृद्धि होती है.

शास्त्रों में काले तिल का दान बेहद अहम माना जाता है. आमवस्या के दिन स्नान करने के बाद आप पितरों को ध्यान करते हुए काले तिल का दान कर दें. इसके बाद बाकी जो भी वस्तुएं दान करें, उस दौरान हाथ में काले तिल लेकर दान करें. धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से वे वस्तुएं पितरों को प्राप्त होती हैं और वे अपने वंश से प्रसन्न रहते हैं.

पौराणिक मान्यता के अनुसार, पितर लोक का स्थान चंद्रमा के ऊपरी हिस्से में होता है, इस कारण पितरों को चांदी से बनी वस्तुओं का दान करने की सलाह दी जाती है. कहा जाता है कि इससे पितर प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

हिंदू धर्म में पिंडदान का बड़ा महत्व है. जिन लोगों ने अपने पितरों का पिंडदान नहीं किया है, वे लोग सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के लिए पिंडदान जरूर करें. अमावस्या पर पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.

जिस तरह से मनुष्यों को मौसम के अनुसार कपड़ों की जरूरत होती है, उसी तरह पितरों को भी कपड़ों की जरूरत होती है. इस बारे में गरुड़ पुराण में वर्णन मिलता है. इसी वजह से सोमवती अमावस्या पर अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए वस्त्रों का दान करें. शास्त्रों के अनुसार इस दिन धोती और गमछा दान करना चाहिए.

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