रायपुर। छत्तीसगढ़ में मवेशियों की भूख मिटाने के लिए सरकार के साथ किसान भी आगे आए हैं। सरकार ने जहां मवेशियों के लिए डे-केयर सेंटर के तौर पर गौठान बनाए हैं, यहां आने वाले मवेशियों के लिए चारा उपलब्ध कराने के लिए किसानों से पैरा दान करने की अपील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की तो किसान अब तक 31 करोड़ से ज्यादा का पैरा दान कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा गौठानों में पशुओं के लिए चारे के लिए किसानों से की गई पैरा दान की अपील का असर दिख रहा है। किसानों ने अब तक 15 लाख 67 हजार 507 क्विंटल पैरा दान गौठनों में किया है। जिसका मूल्य लगभग 31 करोड़ 35 लाख रुपए है, क्योंकि पैरा की दर 200 रूपए प्रति क्विंटल है।अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते लगभग एक सप्ताह में किसानों ने यह पैरा दान किया है। सर्वाधिक पैरा दान बिलासपुर संभाग के किसानों द्वारा किया गया।
धान की कटाई शुरू होने पर मुख्यमंत्री बघेल ने किसानों से पैरा गौठान को देने की अपील की थी। इस अपील के बाद किसानों ने अपने-अपने खेत से नजदीकी गौठान तक पैरा पहुंचाया है। परिवहन का खर्च भी किसानों ने उठाया है। गौठानों को किसानों द्वारा पैरा दान करने का सिलसिला आगे भी चलता रहेगा। बताया गया है कि गौठान के लिए पैरा दान करने की अपील का बड़़ा मकसद पराली को जलाने से रोकना भी है। किसान पैरा दान करता है तो इससे एक तरफ जहां गौठान के मवेशियों के लिए चारा मिलेगा, वहीं पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान पर रोक भी लगेगी।
ज्ञात हो कि राज्य में राजीव गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों का निर्माण कराया गया है। राज्य में 10 हजार 591 गौठान बनने का लक्ष्य रखा गया है, अब तक 7933 गौठानों का निर्माण हो चुका है। वहीं 2300 निमार्णाधीन है। इन गौठानों में जहां दिन में मवेशियों के लिए चारा-पानी का इंतजाम होता है तो वहीं उनके गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाई जाती है और पूजा सामग्री का निर्माण किया जाता है। इसके साथ ही राज्य में दो रुपये किलो की दर से गोबर भी खरीदा जा रहा है। इस तरह रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराने का स्थान बन गया है, गौठान। यहां स्वसहायता समूह की महिलाओं को रोजगार मिल रहा है।