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डोर टू डोर’ कोविड वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं, सही तरीके से चल रहा है वैक्सीनेशन अभियानः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: देश की शीर्ष अदालत ने ‘डोर टू डोर’ कोविड वैक्सीनेशन की मांग पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा है कि देश में टीकाकरण सही तरीके से चल रहा है और 60 फीसदी लोगों को कम से कम एक टीका लग चुका है। अदालत ने कहा कि अलग से आदेश की जरूरत नहीं है। कोरोना से हुई हर मौत को मेडिकल लापरवाही मान कर परिवार को मुआवजा देने की मांग भी सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी। कोर्ट ने कहा कि बड़ी संख्या में मौतें हुईं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि हर मौत मेडिकल लापरवाही का मामला है।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने डोर टू डोर वैक्सीनेशन समेत एक अन्य जनहित याचिका पर विचार करने से भी इनकार कर दिया, जिसमें कोविड की हर मौत के मामले में परिजनों के लिए मुआवजे की मांग की गई थी। यह मांग चिकित्सा में लापरवाही के आधार बनाते हुए की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह नहीं माना जा सकता है कि इतनी बड़ी संख्या में दुर्भाग्य से जो मौतें कोविड के कारण हुई, उन सभी के पीछे चिकित्सकीय लापरवाही वजह रही हो, हम महज ऐसा अनुमान नहीं लगा सकते हैं। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर 30 जुलाई से बीएमसी ने बिस्तर से उठने में अक्षम नागरिकों को वैक्सीन लगाने के लिए डोर-टू-डोर अभियान की शुरुआत की थी।

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