सीडीआरआई के डॉ अतुल गोयल एवं डॉ रितु त्रिवेदी को मिलेगा एनएएसआई का पुरस्कार
लखनऊ : सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट(सीडीआरआई), लखनऊ के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ अतुल गोयल और प्रधान वैज्ञानिक डॉ रितु त्रिवेदी को नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (एनएएसआई) पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. डॉ अतुल गोयल को व्यावहारिक अनुसंधान आधारित (एप्लीकेशन ओरिएंटेड इनोवेशन्स द्वारा) नई दवाओं और डायग्नोस्टिक्स के विकास के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रतिष्ठित एनएएसआई-रिलायंस इंडस्ट्रीज प्लेटिनम जुबली अवार्ड-2019 से सम्मानित किया गया है. वही वैज्ञानिक डॉ रितु त्रिवेदी को के डॉ पी॰शील मेमोरियल लेक्चर अवार्ड-2019 (युवा महिला पुरस्कार) दिया जायेगा. ये पुरस्कार दिसंबर में हैदराबाद में होने वाले एनएएसआईके 89 वें वार्षिक सत्र में दिए जायेंगे.
डॉ अतुल गोयल:एनएएसआई-रिलायंस इंडस्ट्रीज प्लेटिनम जुबली अवार्ड-2019
वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ अतुल गोयल को व्यावहारिक अनुसंधान आधारित (एप्लीकेशन ओरिएंटेड इनोवेशन्स द्वारा) नई दवाओं और डायग्नोस्टिक्स के विकास के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रतिष्ठित एनएएसआई-रिलायंस इंडस्ट्रीज प्लेटिनम जुबली अवार्ड-2019से सम्मानित किया गया है. उन्हें दिसंबर मेंहैदराबाद में होने वाले एनएएसआईके 89 वें वार्षिक सत्र में 3 लाख नकद रुपये और प्रशस्ति पट्टिका प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा. डॉ गोयल ने हड्डियों के फ्रैक्चर की तेजी से उपचार के लिए बायोडिग्रेडेबल मेडिकेटेड ऑर्थोबायोलॉजिकल (बोन इंप्लांट्स) विकसित करने के लिए हैदराबाद स्थित एक कंपनी को उनकी टीम द्वारा खोजे गए यौगिक S008-399 की तकनीक का लाइसेंस कर हस्तांतरण किया है.
डॉ गोयल और उनकी टीम कैंसर और न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों के लिए उपचार विकसित करने हेतु भी प्रयासरत है. उन्होंने गोल कृमि (सी. एलिगेंस) मॉडल में मौजूद परिवर्तनशील आयरन (III) आयनों की मात्रा की उपस्थिति को सीधे देखने के लिए पहली बार एक ऐसी फ्लोरोसेंट (प्रतिदीप्त)प्रोब एनएपी-3 की खोज की है जो कलरीमीट्रिक (रंग-आधारित) एवं रेशोमीट्रिक (अनुपात आधारित) दोनों ही आधार पर विश्लेषण करने मे सक्षम है. आयरन (III) आयनों के साथ जुड़ जाने पर प्रोब एनएपी-3, इसकी प्रतिदीप्ति को हरे से लाल रंग में बदल देता है, जिस से रंग एवं उसकी तीव्रता में बदलाव के आधार पर रक्त में आयरन की मात्रा के असंतुलन को मापा जा सकता है. यह एनएपी-3 प्रोब,थैलेसीमिया के रोगियों के लिए एक नई थैरानोस्टिक्स (चिकित्सा का एक नया क्षेत्र जो टार्गेटेड डायग्नोस्टिक टेस्ट (लक्षित नैदानिक परीक्षणों) आधारितटार्गेटेड थेरेपी को मिलाकर बना है) के रूप में उपयोगी हो सकती है.
डॉ रितु त्रिवेदी : डॉ पी-शील मेमोरियल लेक्चर अवार्ड-2019
सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ की प्रधान वैज्ञानिक डॉ रितु त्रिवेदी, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (एनएएसआई) के डॉ पी-शील मेमोरियल लेक्चर अवार्ड-2019 (युवा महिला पुरस्कार) से सम्मानित की गईं हैं. उन्हें पुरस्कार बोन मेटाबोलिक डिसोर्डर्स (चयापचय अस्थि विकारों) विशेषकर ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट अनुसंधान के लिए दिया गया है. आपने अस्थि स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त एवं रासायनिक रूप से संश्लेषित अनेक नवीन योगिकों पर काम किया है. इनमें से एक छोटे एवं शुद्ध योगिक के एंटी-बोन रिसोरप्टिव (अस्थिक्षय रोधी) एजेंट के रूप में विकसित किए जाने की संभावना है और इसे नैदानिक परीक्षणों (क्लीनिकल ट्रायल्स) के लिए तैयार किया जा रहा है. उन्होने शीशम (डल्बर्जिया सिसू) के मानकीकृत अंश (स्टेंडर्डाइज्ड एक्सट्रेक्ट) पर काम किया है जो एक ओस्टियोजेनिक (अस्थिजनक) एजेंट के रूप में कार्य करता है जिसे तेजी से फ्रैक्चर के उपचार करने वाले एजेंट के रूप में विकसित किया गया यह साथ ही प्राथमिक ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार में भी उपयोगी है. स्पिनैशिया ओलेरेशिया (देशी पालक)से निर्मित एक नैनोफॉरम्यूलेशन पर उसके काम ने ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार एवं प्रबंधन के लिए भी एक उत्पाद तैयार किया है. इन प्रौद्योगिकियों को फार्मञ्जा हर्बल्स प्राइवेट लिमिटेड को लाइसेंस किया गया है। जो बाजार में क्रमशः रीयूनियन®और जॉइंट फ्रेश® नाम से उपलब्ध हैं एवं रजोनिवृत्ति के बाद के ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार एवं प्रबंधन में बेहद उपयोगी हैं.