डॉ. दिनेश शर्मा ने प. दीनदयाल उपाध्याय व अटल बिहारी को किया याद बोले, शिक्षा का केंद्र रहा है कानपुर
प्रदेश के डिप्टी सीएम डा. दिनेश शर्मा सोमवार को बीएनएसडी इंटर कॉलेज के शताब्दी वर्ष समारोह में पंहुचे. यहां पहुंचकर उन्होंने शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ किया. इसके साथ ही पूर्व शिक्षकों को सम्मानित भी किया. इस दौरान उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए शिक्षकों के दायित्वों और प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र में उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों की जानकारी भी साझा की. कार्यक्रम के बाद प्रेस कांफ्रेंस में वह मीडिया के सवालों से बचते नज़र आये और आधी प्रेस कांफ्रेंस छोड़ कर चलते बने.
पिता जी बनाना चाहते थे बिजनेसमैन व माता जी डाक्टर
डिप्टी सीएम डा. दिनेश शर्मा ने अपने संबोधन के दौरान निजी जिंदगी के बारे में भी बात की. उन्होंने बताया कि मैने पहली नौकरी बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में लगी थी. इसके लिए मुझे 1100 रुपये मिलते थे. उन्होंने अपने प्रारंभिक जीवन की यादें साझा करते हुए बताया कि मेरे पिता जी मुझे बिजनेसमैन बनना चाहते थे, जबकि मेरी माता जी मुझे डॉक्टर. इस वजह से मैंने कॉमर्स साइड ली ताकि पिताजी को खुश कर सकू और इसके बाद पीएचडी की, ताकि माता जी को खुश कर सकूं. उन्होंने विद्यार्थियों के जीवन व बेहतर समाज के लिए शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अगर शिक्षक चाह ले तो वह छात्र का जीवन बना भी सकता है और उसे बिगड़ भी सकता है.
प.दीनदयाल उपाध्याय व अटल बिहारी को किया याद
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल जी को याद करते हुए कहा कि इन लोगों के नाम से कानपुर की पहचान हुई है. यही लोग कानपुर की शान है और यहां के शिक्षक संस्थानों की जान रहे है. यह बड़े लोगों को शिक्षित करने का केंद्र है.इसी शहर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी शिक्षा ग्रहण की है. नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा से रोजगार और स्टार्टअप को जोड़ा जाएगा. आजादी के बाद पहली बार पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया गया है.
तीखे सवालों पर बीच में ही छोड़ गए प्रेस वार्ता
कार्यक्रम के बाद उप-मुख्यमंत्र डॉ दिनेश शर्मा ने के एक प्रेस वार्ता में योगी सरकार की साढ़े चार साल की उपलब्धियों का बखान किया, उन्होंने हर क्षेत्र में चौमुखी विकास होने का दावा किया फिर चाहे वह स्वास्थ्य सेवाएं रहीं हो या शिक्षा का क्षेत्र रहा हो या फिर प्रदेश के हाईवे उन्होंने दावा किया कि पिछली सरकारों की तुलना में योगी सरकार ने रिकॉर्ड विकास कार्य किए हैं. उनसे जब योगी सरकार के अंतिम साल में मंत्रिमंडल विस्तार व 4.5 साल में गन्ना की सरकारी खरीद में मात्र 35 रुपये बढ़ाने संबंधी सवाल पूंछे गए तो वह इन सवालों से किनारा कर गए और प्रेस वार्ता छोड़ कर चल दिए.