स्वास्थ्य सेवाओं में डिजिटल तकनीक को अपनाना होगा : डाॅ. संगीता रेड्डी
नई दिल्ली: पेर्कोन एकेडमिक सोसायटी (रजि0) एवं अपोलो हाॅस्पिटल समूह के संयुक्त तत्वावधान में पीसीएनएल पर 9वीं अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला-पेर्कोन 2022 का आयोजन गत दिनों सूर्या होटल, न्यू फ्रेंड्स काॅलोनी नई दिल्ली में भव्य रूप में संपन्न हुआ, जिसमें आठ देशों के 700 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिनमें फिलिस्तीन, फिलिपाइन, बुलेरिया, कुवैत, नेपाल, बंगलादेश, इराक एवं भारत के प्रतिनिधि डाॅक्टर थे। दो दिनों तक चली इस कार्यशाला का उद्घाटन अपोलो अस्पताल समूह की संयुक्त प्रबंध निदेशक डाॅ. संगीता रेड्डी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ. चंचल पाल ने की। आयोजन के संयोजक डाॅ. एस. के. पाॅल ने इस कार्यशाला की संपूर्ण रूपरेखा एवं दो दिवसीय कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया। विदित हो परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी (पीसीएनएल) किडनी स्टोन हटाने की संपूर्ण तकनीक है, जो उत्तर भारत में एक बहुत ही आम समस्या है।
मुख्य अतिथि डाॅ. संगीता रेड्डी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि गुर्दे की पथरी के दर्द से निजात दिलाने में परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी (पीसीएनएल) रामबाण साबित हो रही है। इस तकनीक को हमें अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का डिजिटलीकरण करना होगा। दुनिया भर में इस तकनीक को पहुंचाने के लिए हर साल इस तरह की और कार्यशालाओं का आयोजन करना उपयोगी होगा। हमारे पर्यावरण और सामाजिक व्यवस्था की बदौलत भारतीय डॉक्टर दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं।
डाॅ. रेड्डी ने अपोलो अस्पताल के अंतर्गत किये जा रहे नये-नये प्रयोगों एवं चिकित्सा की नवीन तकनीक के उपक्रमों की जानकारी देते हुए कहा कि पीसीएनएल तकनीक का ज्ञान डॉक्टरों तक पहुंचाने से ही इसके होने वाले विस्तार से मरीजों को फायदा पहुंचेगा। इस तकनीक में साइंस ने तेजी से विकास किया है। इसकी दूरबीन व अन्य उपकरण हाईटेक होने से सर्जरी को बेहतर बनाया है। केवल तीन से आठ एमएम के छेद के माध्यम से ही किडनी में पड़ी पत्थरी को तोड़ कर बाहर निकाल दिया जाता है। मरीज तीसरे दिन काम कर सकते हैं।
डॉ. एस. के. पाल ने उक्त तकनीक से गुर्दे में पत्थरी के जटिल ऑपरेशन किए हैं और इसकी जानकारी कार्यशाला में उपस्थित दुनिया भर से आये हुए डाॅक्टरों को दी।डॉक्टरों को पीसीएनएल तकनीक के गुर सिखाने वाले डॉ. एस. के. पाल का कहना है कि गुर्दे की पत्थरी का दर्द महिलाओं की बजाय पुरुषों में अधिक होता है। एक तिहाई महिलाएं व दो तिहाई पुरुषों के गुर्दे में पत्थरी की शिकायत होती है। ऑपरेशन से पथरी निकालने के बाद आने वाले दस साल में 70 फीसद को दोबारा इसका दर्द उठता है। ऑपरेशन के बाद किडनी के कामकाज पर महज एक फीसद असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि देश विदेश के डॉक्टरों को तकनीक के गुर सिखाने के लिए 2004 से राष्ट्रीय स्तरीय कांफ्रेंस की जा रही है। इस कार्यशाला में उन्होंने देश और विदेश के 700 के करीब डॉक्टरों को पीसीएनएल तकनीक के गुर सिखाए हैं। उन्होंने कहा कि किडनी में 6 एमएम से बड़ी पथरी होने पर ऑपरेशन करवाने की जरूरत है। पथरी से बचाव के लिए अत्याधिक पानी का सेवन संजीवनी का काम करता है। कार्यक्रम अध्यक्ष डाॅ. चंचल पाॅल ने इस कार्यशाला में सम्मिलित सभी डाॅक्टरों से आग्रह किया कि वे भारत की चिकित्सा पद्धति में नित नये प्रयोग करते हुए सेवा की भावना को बल दे।