स्कूल बस में बच्चियों के साथ दुष्कर्म मामले में ड्राइवर को तिहरे आजीवन कारावास की सजा
भोपाल : स्थानीय अदालत ने तीन महीने पहले हुई स्कूल बस (school bus) में दो बच्चियों के साथ दुष्कर्म (rape) की घटना के मुख्य आरोपी को दोषी करार देते हुए उसे जीवन पर्यंत तिहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यही नहीं अदालत ने मामले में सहआरोपी महिला को दोषी करार देते हुए 20 साल सश्रम कारावास की सजा (Punishment) भी सुनाई। जिला अभियोजन अधिकारी मनोज त्रिपाठी ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि विशेष पॉक्सो अदालत ने भोपाल में स्कूल बस में दो बच्चियों के साथ हुए दुष्कर्म के मामले के दोषी स्कूल बस चालक हनुमत जाटव को तिहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
विशेष पॉक्सो अदालत की न्यायाधीश शैलेजा गुप्ता ने बस चालक को भादंसं की धारा 376 (एबी), 376 (2) एन एवं पॉक्सो एक्ट में अंतिम सांस तक जेल में बंद रहने की, तिहरा आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने इस मामले में सहआरोपी बस केयरटेकर उर्मिला साहू को पॉक्सो एक्ट में 20 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई है। मनोज त्रिपाठी ने बताया कि अदालत ने इन दोनों पर 32-32 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है कुल राशि का आधा हिस्सा दोनों बच्चियों में बराबर बांटने को कहा है।
उन्होंने कहा कि अदालत ने अपने फैसले में विशेष टिप्पणी करते हुए कहा, ‘जब पवित्र शिक्षण संस्थाओं में ही बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित ना हो तो समाज में बलिकाओं/महिलाओं के स्वतंत्र अस्तित्व विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। आरोपीगण का कृत्य न केवल घृणित व गंभीर प्रकृति का है वरन वह समाज के विश्वास वाले संबंधों को कंलकित करने वाला पैशाचिक आपराधिक कृत्य है। इस कारण से आरोपीगण के प्रति नरम रूख नहीं अपनाया जा सकता है। अदालत ने कहा कि दोनों ही पीड़ित बच्चियां मात्र साढे़ तीन वर्ष की अत्यंत अल्प आयु की अबोध बालिकाएं हैं।
मालूम हो कि इनमें से एक बच्ची के साथ स्कूल बस में इस साल आठ सितंबर को दुष्कर्म किया गया था। इसके बाद बच्ची के माता-पिता ने यहां महिला पुलिस थाने में मामला दर्ज किया था। दूसरी पीड़त बच्ची और उसके माता-पिता के बयान विटनेस प्रोटेशन एक्ट के तहत अदालत में दर्ज कराए गए थे।
अदालत ने कहा कि इन बच्चियों ने अभी अपने जीवन की शुरुआत ही की थी और जीवन के सफर में प्रथम कदम अपने परिवार से बाहर शिक्षा हेतु रखा था। जहां आरोपी हनुमत (32) एवं उर्मिला (35) परिपक्व आयु के व्यक्ति होकर उनके ही शैक्षणिक संस्था में कर्मचारीवृंद होते हुए विद्यालय की बस में वाहन चालक और बच्चों की देखरेख का काम करते थे जिन्हें बच्चे बस अंकल और दीदी कहते थे। बच्चे उन पर पूर्ण विश्वास करते थे। अदालत ने कहा कि बच्चों को सुरक्षित घर से विद्यालय और विद्यालय से घर लाने ले जाने का उत्तरदायित्व इनका था।