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DRM ने कहा- कोई सड़क बनवा दे तो रुकने लगेंगी ट्रेनें, खुद ही जुट गए लोग

बालोद. जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर भैंसबोड़ के लोगों की भी हसरत थी कि उनके गांव में रेलगाड़ी रुके। वे पिछले चार दशक से इसी सपने में जी रहे थे। पिछले साल दिसंबर में उनके गांव में डीआरएम आए थे। लोगों ने जब अपनी इच्छा बताई तो उन्होंने कहा कि हमारे पास फंड नहीं है। प्लेफॉर्म से जुड़ी रोड कोई बना दे तो हम यहां स्टॉपेज शुरू करवा देंगे। फिर क्या था-तीन गांवों से करीब 600 महिलाएं और पुरुषों ने श्रमदान से प्लेटफाॅर्म और सड़क बनाने का बड़ा बीड़ा उठा लिया। शुक्रवार को पूजा-पाठ के साथ काम भी शुरू हो गया। लोगों ने चंदे से 20 हजार रुपए भी जुटा लिए हैं। अब रह दिन आसपास के गांवों के लोग यहां श्रमदान करने आएंगे। लोगों का कहना है कि एक सप्ताह में सड़क तैयार कर देंगे।
DRM ने कहा- कोई सड़क बनवा दे तो रुकने लगेंगी ट्रेनें, खुद ही जुट गए लोग
 
ग्रामीणों की कहानी, उन्हीं की जुबानी
शुक्रवार को सुबह गांव के लोगों ने जमीन की पूजा करने के बाद काम की शुरुआत की। भैंसबोड़ के सरपंच घनाराम ठाकुर ने बताया कि गांव के ही 100 लोग रेलवे कर्मचारी हैं। फिर भी हमारी मांग 35 साल पुरानी है। रेल लाइन तो है लेकिन यहां पर पैसेंजर ट्रेन नहीं रुकती। प्लेटफार्म तैयार होते ही ट्रेन रुकना शुरू हो जाएगी, जो हम चाह रहे हैं।

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ट्रेन रुकने से 30 गांवों को फायदा
अभी तो सिर्फ तीन गांव के लोग श्रमदान कर रहे हैं लेकिन यहां ट्रेन रुकने से आसपास के 30 गांव के लोगों को फायदा होगा। वे यहां से सीधे दुर्ग-रायपुर, दल्ली-बालोद के लिए सफर कर सकेंगे। भैंसबोड़ वनांचल में बसा आदिवासी बाहुल्य गांव है। लोगों को ट्रेन से सफर के लिए 10 किमी दूर कुसुमकसा या फिर 12 किमी दूर बालोद जाना पड़ता है। यहां पैसेंजर हाल्ट बन जाने के बाद भैंसबोड़ के अलावा दैहान, बनगांव, दानीटोला, गुजरा, बोरिद, सुवरबोड, गिधाली, बकलीटोला, सहगांव, गैंजी, पोपलाटोला, बघमार, खोलझर, झरनटोला, जाटादाह सहित 30 गांवों के लोगों को सुविधा मिलेगी।

श्रमदान के लिए 12 और गांव तैयार
बलराम भूआर्य ने बताया कि आसपास के 12 गांवों के लोग भी मदद के लिए सामने आएंगे। दानीटोला नर्सिंग कॉलेज वालों ने भी मदद करने की बात कही है।
टिकट घर खुलेगा, टेंडर मिला गांव के व्यक्ति को
रेलवे के रायपुर मंडल के डीआरएम राहुल गौतम जब भैंसबोड़ पहुंचे थे तब गांव में चौपाल लगाकर ग्रामीणों को जानकारी दी थी कि रेलवे के पास स्टेशन निर्माण के लिए फंड की कमी है। लेकिन प्लेटफार्म के लिए सात लाख रुपए का बजट है। रेलवे के इस बजट से सरकारी काम ही होंगे जैसे टिकट काउंटर, रेलवे में लाइट और पानी की व्यवस्था। बाकी यहां तक पहुंचने के लिए रास्ता का निर्माण गांव वालों को करना होगा।

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