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आतंकियों का ड्रोन होगा ‘मौन’, सीमा पर सतर्क हुई सरकार; DRDO खोज रहा जवाबी हथियार

नई दिल्ली : सीमा पार से दहशतगर्द पिछले कुछ समय से भारत में हथियारों और विस्फोटकों को भेजने के लिए नये हथियार के रूप में ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। साल 2021 से कम से कम 15 बार ड्रोन की मदद से हथियार, विस्फोटक और बड़े पैमाने पर ड्रग की तस्करी की गई या कोशिश की गई। गृह मंत्रालय ने चिंता जताई है कि पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान से भारत में होने वाली आतंकी घटनाओं के लिए उग्रवादी ड्रोन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं। बीएसएफ के साथ अमित शाह हाई लेवल मीटिंग भी कर चुके हैं। सरकार ने इस दिशा में कठोर कदम उठाने भी शुरू कर दिए हैं। सूत्रों का दावा है कि डीआरडीओ को इन ड्रोन से निपटने के लिए बीएसएफ के लिए कारगर और अचूक हथियार बाने का जिम्मा सौंपा गया है।

सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि जम्मू में 182 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार पाकिस्तान से हथियारों और विस्फोटकों को लाने वाले ड्रोन का मुकाबला करने की कोशिश लगातार जारी है। श्रीनगर में बुधवार को सुरक्षा समीक्षा बैठक में शीर्ष सुरक्षा और खुफिया प्रमुखों के सामने गृह मंत्री अमित शाह ने चिंता जाहिर की कि सीमा पार से ड्रोन गतिविधियों में वृद्धि हुई है। हालांकि बीएसएफ, जो जम्मू सेक्टर में पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा की देखरेख करता है, का मानना ​​है कि वह पाकिस्तान से हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक ले जाने वाले ड्रोन को पीछे हटाने में कामयाब रहा है। उधर, इससे उलट राज्य पुलिस और खुफिया एजेंसियां ​​के डेटा इन दावों से उलट हैं। सुरक्षा एजेंसियों के डेटा से पता चलता है कि 2020 में, जम्मू (1), सांबा (2), कठुआ (1) और राजौरी (2) में ड्रोन गतिविधि की छह घटनाओं से हथियार बरामद हुए थे। 2020 में बरामद किए गए हथियार थे: सात एके सीरीज असॉल्ट राइफलें, नौ पिस्तौल, 2 एमपी4 कार्बाइन, पांच कार्बाइन मैगजीन और 10 उच्च विस्फोटक ग्रेनेड।

2021 में, सांबा में पांच, जम्मू में छह और राजौरी सेक्टर में एक सहित ड्रोन की 12 गतिविधियों का पता चला था। बरामदगी में सात एके सीरीज राइफलें, 27 पिस्तौल, 25 उच्च विस्फोटक हथगोले और 22 तात्कालिक विस्फोटक उपकरण शामिल हैं। इस साल, ड्रोन गतिविधियों की तीन घटनाएं पहले ही हो चुकी हैं, जिनमें दो जम्मू सेक्टर में और एक कठुआ सेक्टर में है। बरामदगी में एक पिस्तौल, पांच आईईडी, छह ग्रेनेड, ग्रेनेड लांचर के 7 राउंड, विस्फोटक की तीन बोतलें और 10 चिपचिपे या चुंबकीय बम शामिल हैं।

जेकेपी के शीर्ष अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, ड्रोन घाटी में आतंकी अभियानों के पैर जमाने के लिए अफगान हेरोइन की भी बड़े पैमाने पर तस्करी कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि हथियारों, विस्फोटकों और नशीले पदार्थों के लाने के पीछे पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा है, जिसके शकरगढ़ बुलगे इलाके में आईबी के पार शिविर हैं।

सुरक्षा एजेंसियां ​ड्रोनों से हथियारों और विस्फोटकों की सप्लाई को लेकर चिंतित हैं। जम्मू और कश्मीर और पंजाब के भीतरी इलाकों में ड्रोन की मदद से हथियारों की नए तरह से सप्लाई नई समस्या खड़ी कर सकता है। ऐसे में गृह मंत्रालय इस खतरे का मुकाबला करने के लिए या तो ड्रोन को विस्फोट करके एक समाधान खोजने की कोशिश कर रहा है।

भले ही DRDO ने एंटी-ड्रोन तकनीक विकसित करने का दावा किया है, लेकिन पीर पंजाल पर्वतमाला के दक्षिण और उत्तर में लगातार खराब मौसम की वजह से यह कारगार नहीं है। ऐसे में सरकार ने बीएसएफ को अब तक का सर्वश्रेष्ठ उपकरण देने के लिए डीआरडीओ को जिम्मा सौंपा है, ताकि सीमा पर ड्रोन का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा बलों के पास पर्याप्त साधन हो। नाम न बताने की शर्त पर एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, “सबसे बड़ी चिंता पूरे आईबी में विस्फोटकों की ढुलाई को लेकर है क्योंकि इनका इस्तेमाल देश में कहीं भी किया जा सकता है।”

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