जापान में फ्लू के मामले बढ़ने से अस्पतालों में भीड़, जानें कौन सा वायरस जिम्मेदार

नई दिल्ली : जापान में इन दिनों फ्लू (Flu ) के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है. देशभर के अस्पतालों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी दबाव बन गया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह संक्रमण (Infection) सामान्य फ्लू की तुलना में अधिक तेजी से फैल रहा है. जापान सरकार ने इसे आधिकारिक तौर पर Nationwide Flu Epidemic घोषित किया है. बीते कुछ हफ्तों में मरीजों की संख्या में अचानक उछाल आया है, जिससे लोगों में डर और सतर्कता दोनों बढ़ गए हैं. सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियां लगातार निगरानी कर रही हैं ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. बढ़ते मामलों के बीच कोविड जैसे हालातों की आशंका भी जताई जा रही है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक 4,000 से अधिक लोग अस्पतालों में भर्ती हो चुके हैं, जिनमें से कई मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है. बढ़ते फ्लू के मामलों के चलते कई अस्पतालों में बेड की कमी और मेडिकल स्टाफ पर दबाव देखा जा रहा है. जापान के कई एरिया में अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं ठीक से काम नहीं कर रही हैं. संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने 100 से ज्यादा स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करने का आदेश दिया है, ताकि बच्चों और शिक्षकों को संक्रमण से बचाया जा सके. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह रफ्तार जारी रही, तो हालात कोविड महामारी जैसे गंभीर हो सकते हैं.
राजीव गांधी अस्पताल में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जैन के मुताबिक,जापान में फैल रहा यह फ्लू वायरस सामान्य इन्फ्लुएंजा का म्यूटेटेड वर्ज़न हो सकता है. हो सकता है कि जापान में इस वायरस में म्यूटेशन हो रहा है, जिससे यह पहले से अधिक संक्रामक और खतरनाक बन गया है. यह वायरस मुख्य रूप से H3N2 वायरस के किसी नए स्ट्रेन से जुड़ा माना जा रहा है, जो सामान्य फ्लू की तुलना में अधिक तेजी से फैलता है और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है.
डॉ जैन कहते हैं कि जापान में फ्लू के मामले बढ़ना चिंता का कारण है, लेकिन इसको कोविड जैसे हालातों जैसा मानना या वैसी आशंका नहीं है. फ्लू आमतौर पर हल्का ही होता है और कोविड की तुलना में इससे डेथ रेट काफी कम है. इस बार फ्लू सीजन लगभग पांच हफ्ते पहले शुरू हुआ है, जो दिखाता है कि मौसम बदल रहा है और वायरस तेजी से फैल रहा है. लगातार बढ़ते मामलों ने अस्पतालों पर दबाव बढ़ा दिया है, डॉक्टरों और नर्सों को दिन-रात ड्यूटी करनी पड़ रही है. सरकार ने निगरानी बढ़ाने और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.