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दुर्गा मंदिर के तोड़फोड़ का विरोध करना पड़ा भारी, गिरा दिया मकान

छत्तीसगढ़: प्रेदश की कांग्रेस सरकार एक तरफ कब्जाधारियों से न्यूनतम शुल्क लेकर मालिकाना हक दे रही है। वहीं वर्षों से काबिज भूमि पर कार्रवाई कर रही है। स्थानीय लोगों ने इसे बदले की कार्रवाई बताते हुए राजस्व अधिकारियों पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है।

जस्व विभाग की एकतरफा कार्रवाई के पीछे नगर के मध्य स्थित दुर्गा मंदिर के तोड़फोड़ से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। विदित हो कि दोरनापाल स्थित नेशनल हाईवे से पोड़‍िया मार्ग पर नगर पंचायत द्वारा एक करोड़ की लागत से सीसी सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। उक्त मार्ग पर सड़क के दोनों तरफ अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा की गई थी। कार्रवाई के दौरान तहसीलदार महेन्द्र लहरे ने नगर में आस्था का केन्द्र रहे दुर्गा मंदिर पर बुल्डोजर चलवा दिया था। जिसके विरोध का खामियाजा उठाना पड़ा है।

छत्तीसगढ़ सरकार अवैध कब्जे वाली सरकारी (नजूल) जमीन को खाली कराने के बजाय पट्टेधारियों को विकास शुल्क लेकर ही नियमित किया जा रहा है। इस योजना से प्रदेश के कई लोगों को फायदा भी मिल रहाहै। सुकमा जिले में भी सरकार के इस आदेश का पालन राजस्व विभाग कर रहाहै लेकिन दोरनापाल में राजस्व विभाग के अधिकारी शासन के निर्देशों विपरीत वर्ष 1985 से शासकीय भूमि पर काबिज रामलाल गुप्ता के निर्माणाधीन मकान और मिल को कोंटा एसडीएम और दोरनापाल तहसीलदार ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की है।

जबकि प्रशासन के व्यवस्थापन नियम का पालन करते हुए रामललगुप्ता ने निर्धारित शुल्क को अदा करने हेतु राजस्व विभाग को पत्र लिखा है, इसके बावजूद अधिकारियों ने कब्जाधारी के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई कर दी।

कोंटा एसडीएम बानसिंह नेताम, दोरनापाल तहसीलदार महेन्द्र लहरे और सीएमओ कृष्णा राव शन‍िवार सुबह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर रामलाल गुप्ता द्वारा काबिज भूमि पर निर्मित मकान और मिल पर तोड़फोड़ की गई। रामलाल गुप्ता के बेटे गौरव गुप्ता ने बताया कि 04 नवंबर को ही कोंटा एसडीएम कार्यालय में प्रशासन के नोटिस का जवाब देते हुए काबिज भूमिपर विकास शुल्क जमा करने हेतु आवेदन दिया था। उसके बाद भी राजस्व अधिकारियों ने जबरन कार्रवाई करते हुए वर्षों से काबिज भूमि से बेदखल कर दिया।

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने फैसला लिया है कि जो कब्जाधारी नजूल की जमीन पर वर्षों से काबिज हैं उन्हें हटाया नहीं जाएगा, बल्कि उनसे कलेक्टर गाइडलाइन रेट से 152 प्रतिशत रकम लेकर लेकर कब्जेधारी के नाम कर देंगे। यह नियम 20 अगस्त 2017 से पहले कब्जे वाली जमीन पर लागू होगा। सरकार के नियम के अनुसार 600 स्क्वायर फिट तक की जमीन के लिए सरकार कोई अलग रकम नहीं लेगी, सिर्फ विकास शुल्क देना पड़ेगा इसके अलावा की जमीन के लिए निर्धारित दर पर कीमत देकर फ्री होल्ड करा पाएंगे।

कोंटा एसडीएम बानसिंह नेताम ने बताया किशासन की गाईडलाईन के तहत नजूल भूमि पर काबिजों के खिलाफ कर्रवाई की जा रही है। रामलाल गुप्ता द्वारा नजूल भूमि पर कब्जा किया गया था। 05 दिन पहले नोटिस देने के बाद भी उनकेद्वारा गोदाम खाली नहीं किया गया इसलिए प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की है।

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