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कंपोजिट लाइसेंस के तहत होगी दस प्रधान खनिज ब्लॉकोें की ई-नीलामी – एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल

जयपुर : राज्य मेें प्रधान खनिज के 10 ब्लॉकों की कंपोजिट लाइसेंस के तहत ई-नीलामी की जाएगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम और पीएचईडी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इन दस ब्लॉकों मेें छह बेस मेटल, दो टंगस्टन, एक पोटाष, एक निक्कल के ब्लॉक तैयार किए जा रहे हैं।

अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. अग्रवाल गुरुवार को सचिवालय में माइंस एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि कंपोजिट लाइसेंस से लाइसेेंस धारक प्रोस्पेक्टिव (खोज) एवं खनन दोनों कार्य कर सकेगा। पहले विभाग द्वारा प्रोस्पेक्टिव लाइसेंस जारी किए जाते रहे हैं और उसकी रिपोर्ट के आधार पर मिनरल की उपलब्धता को देखते हुए प्लॉट तैयार कर नीलाम किए जाते थे जिसमें लंबा समय लगता था। अब मिनरल संभावित क्षेत्र में खोज व खनन का ई नीलामी के माध्यम से संयुक्त लाइसेंस जारी होने से खनन कार्य भी समय पर आरंभ हो सकेगा और राज्य सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी होने लगेगी।

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि पिछले दिनों जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया द्वारा राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर यह प्लाट्स कंपोजिट लाइसेेस के लिए तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में प्रमुख रुप से लेड-जिंक, सिल्वर, वोलेस्टोनाईट, रॉक फास्फेट, कॉपर, लाईमस्टोन, आयारन ऑर, पोटाष और टंगस्टन मेजर मिनरल है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल में राज्य में लाईमस्टोन के दस ब्लाकों की सफल नीलामी की गई है वहीं दो ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया जारी है।

एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि मेजर मिनरल्स के साथ ही अप्रधान खनिजों की नीलामी मेें भी तेजी लाई गई है और इसी का परिणाम है कि हाल ही समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में 6391 करोड़ 23 लाख का रेकार्ड राजस्व अर्जित किया गया है।
निदेशक माइंस श्री कुंज बिहारी पण्ड्या ने बताया कि राज्य में खोज और खनन कार्य को योजनावद्ध तरीके से प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे प्रदेष का आर्थिक विकास, औद्योगिक विकास, रोजगार के नए अवसरो के साथ ही राज्य सरकार के राजस्व मंे बढ़ोतरी हो रही है।

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