जीवनशैलीस्वास्थ्य

दिल को दुरस्त रखने के आसान तरीके

हृदय संबंधी ज्यादातर बीमारियां रक्त प्रवाह के सुचारु न होने या अधिक वजन के कारण होती हैं। ऐसे में कुछ योगासन हैं जो शरीर में रक्त प्रवाह को सुचारु रखने में मदद करते हैं, जिससे दिल बीमारियों से सुरक्षित रहता है। जानें डिप्रेशन, तनाव, हाइपरटेंशन, इंसोमेनिया, डायबिटीज, मोटापा योग से कैसे हो जाएगा छूमंतर

वज्रासन
यह आसन हृदयगति को नियंत्रित रखता है और स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ का स्राव घटाकर तनाव कम करता है। इसके अभ्यास से जांघों और पिंडलियों की नसें-मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है, पीठ-पैर दर्द में आराम मिलता है। इसे करने के लिए फर्श पर दोनों पैर सामने की ओर फैलाकर सीधे बैठें। दोनों हाथों को कुल्हे के पास ले जाकर फर्श पर टिकाएं। इस दौरान शरीर का पूरा भार हाथों पर न आए। अब पहले दायां, फिर बायां पैर मोड़कर कूल्हे के नीचे रखें। सुनिश्चित करें कि दोनों जांघें और पैर के अंगुठे आपस में सटे हों । अब दोनों हाथों को घुटनों पर रखें, ठोड़ी फर्श के समानांतर होनी चाहिए। इसके बाद रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें। आंखें बंदकर सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें, 5-10 मिनट तक इस अवस्था में रहें। इसके बाद शरीर को दाईं ओर झुकाते हुए बाएं पैर को और बाईं ओर झुकाते हुए दाएं पैर को आगे करें। घुटनों में दर्द या टखने में चोट लगी हो तो वज्रासन न करें।

मंडुकासन
यह आसन छाती की मांसपेशियों को खोलता है, जिससे रक्त प्रवाह में धमनियों पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता और रक्तचाप कम होता है। यह इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ावा देकर ब्लड शुगर नियंत्रित रखता है और मस्तिष्क में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाकर तनाव का स्तर घटाता है। इसे करने के लिए फर्श पर घुटनों के बल इस तरह बैठें कि दोनों पैर के अंगुठे आपस में मिले हों। दोनों हाथों के अंगुठों को अंदर दबाकर मुट्ठी बांधें, मुट्ठी को एक-दूसरे से सटाकर नाभी के पास रखें । अब सांस बाहर छोड़ते हुए शरीर को धीरे-धीरे आगे की ओर झुकाएं और छाती को घुटने से लगाएं।

ताड़ासन
ताड़ासन दिल की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। इसका अभ्यास रीढ़ संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने में भी सहायक है। इसे करने के लिए फर्श पर सीधे खड़े हो जाएं और पैरों के बीच दो इंच की दूरी रखते हुए हाथों को कंधे तक उठाएं। हथेलियों को सामने रखकर दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में गूथें, फिर धीरे से कलाइयों को बाहर की तरफ मोड़ें। सांस अंदर लेते हुए हाथों को कंधे की सीध में उठाएं और सिर के ऊपर ले जाएं, एड़ियां उठाते हुए पंजों के बल खड़े हो जाएं। सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें, 10-15 सेकेंड तक इस स्थिति में रहने के बाद सांस बाहर छोड़ते हुए धीरे-धीरे एड़ी जमीन पर ले जाएं, उंगलियां खोलते हुए हाथ नीचे करें और सीधे खड़े हो जाएं।

कमर दर्द से छुटकारा पाने के लिए अर्ध उत्तानासन

अकसर देखा जाता है कि जो लोग ज्यादा समय तक एक ही जगह बैठे रहते हैं या गलत मुद्रा में सोते हैं तो उनकी पीठ और कमर में दर्द हो जाता है। योगासनों के द्वारा शरीर के दर्द और कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

अर्ध उत्तानासन एक ऐसा आसन है, जो पीठ दर्द और कमर दर्द में बहुत प्रभावी होता है। यह आसन शरीर के ऊपरी भाग को अच्छी तरह स्ट्रेच करता है, जिससे पसलियां और कंधे मजबूत बनते हैं। इनमें से किसी में भी कोई परेशानी होने पर कमर दर्द हो सकता है। कमर दर्द के कारण खड़े होने, झुकने और मुड़ने में बहुत दिक्कत होती है। अर्ध उत्तानासन करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं, सांस लेते हुए हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं। शरीर को ऊपर खींचे और धीरे-धीरे सामने की तरफ झुकते हुए अपने पैरों को छूने की तरफ बढ़ें। अब सिर और गर्दन को आराम की मुद्रा में जमीन की दिशा में रखें और कूल्हों को ऊपर की तरफ उठायें। इस स्थिति में 15-20 सेकंड तक रहें। इस दौरान अपने पूरे शरीर का भार अपने तलवों पर छोड़ दें और घुटनों को सीधा रखें। अब धीरे-धीरे ऊपर उठते हुए सांस छोड़ते जाएं और पहले की स्थिति में आ जाएं। इस आसन को अर्ध उत्तानासन कहते हैं।

अगर आपको सुबह में समय नहीं मिलता तो आप किसी भी समय इस आसन को कर सकते हैं। केवल इतना ध्यान रखें कि खाना खाने के बाद इसे न करें और न ही आसन करने के बाद तुरंत खाना खाएं। इस आसन के नियमित अभ्यास से शरीर के पिछले भागों का सम्पूर्ण व्यायाम हो जाता है और इन भागों में मौजूद तनाव दूर होता है। यह पैरों के पाश्र्व भागों को लचीला और मजबूत बनाने वाली योग मुद्रा है। इस आसन से रीढ़ की हड्डियों में पर्याप्त खिंचाव होता है। गर्दन और मस्तिष्क को आराम मिलता है। मानसिक तनाव कम होता है और आपको शांति मिलती है। यह आसन हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा, इनफर्टिलिटी की परेशानी को दूर करने में मदद करता है। इस तरह से झुकने से आपके पाचन अंगों की अच्छी मालिश होती है और आपके पाचन में सुधार होता है। इस आसन से आपकी किडनी और फेफड़े सक्रिय होते हैं।

आसन करने से पहले ध्यान दें
अगर आपको कमर में चोट ग्लूकोमा जैसी परेशानी हो तो यह आसन नहीं करना चाहिए। अगर आपको कमर में चोट लगी हुई है तो आप यह आसन घुटनों को मोड़ कर भी कर सकते हैं। इसे करते समय आप अपने हाथ दीवार पर भी रख सकते हैं।

Related Articles

Back to top button