पटना : बिहार में नीतीश कुमार के फ्लोर टेस्ट से पहले घमासान शुरू हो गया है। ताजा खबर है कि लालू यादव की पार्टी आरजेडी के 4 बड़े नेताओं के यहां सीबीआई का छापा पड़ा है। सीआरपीएफ के जवानों की मौजूदगी में इस कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है। राजद के राज्यसभा सदस्य अशफाक करीम, एमएलसी सुनील सिंह, पूर्व एमएलसी सुबोध राय के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। यह संख्या बढ़ भी सकती है। इसके पहले लालू के करीबी भोला यादव को सीबीआइ ने गिरफ्तार किया है।आरजेडी ने इसे बदले की कार्रवाई बताया है। छापेमारी के दौरान सुनील सिंह अपने निवास पर ही थे। उन्होंने मीडिया से कहा, ‘यह जानबूझकर किया जा रहा है। इसका कोई मतलब नहीं है। वे यह सोचकर ऐसा कर रहे हैं कि डर से विधायक उनके पक्ष में आएंगे।’
बता दें, बिहार में एक बार फिर पाला बदलने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को शक्ति परीक्षण का सामना करेंगे। हालांकि नंबर गेम को देखते हुए उनकी सरकार को कोई मुश्किल नहीं होगी, लेकिन सभी की नजर भाजपा कोटे के विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा पर होगी। नीतीश कुमार और विजय कुमार सिन्हा के संबंध बहुत अच्चे नहीं रहे हैं और दोनों के बीच सदन में बहस का वीडियो भी सामने आया था। महागठबंधन सरकार के विश्वास मत का सामना करने से एक दिन पहले विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि वह अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे और बुधवार के सत्र की अध्यक्षता करेंगे।
बता दें, विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ लालू यादव की पार्टी RJD ने 9 अगस्त को अविश्वास प्रस्ताव दिया है। हालांकि, माना जा रहा है कि विश्वास मत होने के तुरंत बाद सिन्हा इस्तीफा दे सकते हैं। सिन्हा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने की संभावना नहीं है, क्योंकि 243 सदस्यीय सदन में महागठबंधन को 164 विधायकों का समर्थन हासिल है।
इस महीने की शुरुआत में नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था और एक बार फिर राजेडी व कांग्रेस वाले महागठबंधन में चले गए थे। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। वहीं तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी।
इसके बाद नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में 24 अगस्त को फ्लोर टेस्ट आयोजित करने और राज्य विधानसभा बुलाने के लिए उपयुक्त सिफारिश करने का निर्णय हुआ था। इसके तुरंत बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में राष्ट्रीय जनता दल विधायकों को मंत्रीपद दिया गया है।