
रायपुर : छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में फंसे पूर्व सीएम भपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की मुश्किल ईडी ने फिर बढ़ा दी है। प्रवर्तन निदेशालय ने चैतन्य बघेल के शराब घोटाले से जुड़ी चल रही जांच के सिलसिले में 61.20 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर ली है। एजेंसी ने गुरुवार को एक बयान में बताया कि ईडी ने 59.96 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां कुर्क की हैं। इनमें 364 आवासीय प्लॉट और कृषि भूमि शामिल है। इसके अलावा, 1.24 करोड़ रुपये की चल संपत्तियां,जिनमें बैंक बैलेंस और बाकी जमा शामिल हैं, भी कुर्क की गई हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले की जांच एसीबी/ईओडब्ल्यू, रायपुर, छत्तीसगढ़ की ओर से दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। यह एफआईआर राज्य में हुए शराब घोटाले को लेकर आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी। ईडी के बयान के अनुसार, पुलिस जांच से पता चला है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के कारण राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है।
अनुसूचित अपराधों को अंजाम देने से 2500 करोड़ से अधिक की अपराध से अर्जित आय उत्पन्न हुई, जिसने लाभार्थियों की जेबें भर दीं। पीएमएलए (PMLA) के तहत ईडी की जांच से पता चला है कि चैतन्य बघेल इस शराब सिंडिकेट के शीर्ष पर था। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री का बेटा होने के कारण उनकी स्थिति उन्हें शराब सिंडिकेट का नियंत्रक और अंतिम प्राधिकारी बनाती थी। वह सिंडिकेट की ओर से एकत्र किए गए सभी अवैध फंडों के ‘हिसाब’ (खातों) को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार थे।” ऐसे फंडों (अपराध से अर्जित आय) के संग्रहण (collection), मार्ग-परिवर्तन (channelisation) और वितरण से संबंधित सभी बड़े निर्णय उन्हीं के निर्देशों पर लिए जाते थे।
ईडी ने आरोप लगाया है कि चैतन्य बघेल को अपराध से अर्जित आय प्राप्त हुई, जिसे उन्होंने अपने रियल एस्टेट व्यवसाय के माध्यम से लेयर्ड किया (पैसा छुपाया) और निष्कलंक संपत्ति के रूप में प्रदर्शित किया। कथित तौर पर उन्होंने शराब घोटाले से अर्जित आय का उपयोग अपनी स्वामित्व वाली संस्था “बघेल डेवलपर्स” के तहत अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट “विट्ठल ग्रीन” के विकास के लिए किया।



