नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में अपनी तीसरी पूरक चार्जशीट में बेहद गंभीर आरोप लगाए। ED ने दावा किया कि इस मामले में 192.8 करोड़ रुपये की राशि का अपराध (POC) हुआ था।
ईडी ने आरोपी अरुण पिल्लई का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि उसने POC के निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लिया था। … इंडो स्पिरिट्स के गठन की साजिश में भाग लेना, थोक में उच्च लाभ मार्जिन प्राप्त करने के लिए नीति का मसौदा तैयार करना और रिश्वत की पूरी साजिश को अंजाम देना, अरुण पिल्लई ने सक्रिय रूप से POC 192.8 करोड़ रुपये की पीढ़ी में भाग लिया। पिल्लई ने तब हिस्सा हासिल किया इसमें से और PoC से 32.86 करोड़ रुपये अपने कब्जे में ले लिए।
पिल्लै ने 32.8 करोड़ रुपये से 1.70 करोड़ रुपये और 4.75 करोड़ रुपए इंडिया अहेड, आंध्र प्रभा प्रकाशन और गौतम मूथा को ट्रांसफर्र किए। पीओसी के इस कुल 6.45 करोड़ रुपये को एक अन्य सह-आरोपी अभिषेक बोइनपल्ली के साथ जोड़ा गया था। ईडी ने आगे दावा किया कि पिल्लै इस PoC को बेदाग दिखाने में शामिल हैं ।
इंडो स्पिरिट्स का व्यवसाय अपने आप में साजिश से बनाई गई एक मशीनरी है। पिल्लई पीओसी के स्थानांतरण और प्रक्षेपण में शामिल है। उसने दूसरों के साथ साजिश में साउथ ग्रुप को रिश्वत की वसूली की सुविधा में भाग लिया। ईडी ने चार्जशीट में कहा कि इंडो स्पिरिट्स से दक्षिण समूह के कुछ खुदरा क्षेत्रों में 4.35 करोड़ रुपये और 60 करोड़ रुपये के पीओसी का ट्रांसफर्र किया।