आठवीं पास अपराधियों ने फर्जी कॉल सेंटर खोल ब्रिटिश नागरिकों से ठग लिए तीन करोड़, आठ गिरफ्तार; चार अब भी फरार
गोरखपुर : गोरखपुर के बेतियाहाता में फर्जी कॉल सेंटर खोलकर कोलकाता का एक गैंग यूके के नागरिकों के साथ जालसाजी कर रहा था। गोरखपुर पुलिस ने गैंग के आठ सदस्यों को गिरफ्तार कर अंतराष्ट्रीय जालसाज गिरोह का पर्दाफाश किया है। आठ महीने में गैंग ने करीब तीन लाख पाउंड यानी तीन करोड़ रुपये के आसपास की जालसाजी की है। गैंग में शामिल चार अन्य आरोपितों की तलाश में पुलिस जुटी है। इनमें दो यूनाइटेड किंगडम (यूके) में हैं, उनकी गिरफ्तारी के लिए गोरखपुर पुलिस लुकआउट नोटिस भी जारी कराएगी। हैरानी की बात ये है कि इस गैंग के ज्यादातर सदस्य आठवीं या दूसरी कक्षा पास ही है।
एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने गैंग का खुलासा करते हुए बताया कि कुछ दिन पहले पुलिस को पता चला कि बेतियाहाता में एक कॉल सेंटर चलता है जिसमें 20 से 22 लड़के काम करते हैं। कॉल सेंटर की गतिविधि संदिग्ध होने की सूचना पर जांच साइबर क्राइम को सौंपी गई। गोपनीय जांच में अंतराष्ट्रीय फर्जीवाड़ा सामने आया। गैंग का मास्टरमाइंड कोलकता का अनिक दत्ता है जबकि गिरोह में आकाश गुप्ता, आशीष पाण्डेय, कादिर अली, धीरज कुमार, इकरामुल्ल अंसारी राहुल कुमार, राजन कुमार, आदित्य मिश्रा, विनोद, जुनैद, अश्वनी शामिल हैं। मास्टरमाइंड सहित आठ आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आदित्य, विनोद, जुनैद, अश्वनी फरार हैं। जुनैद और अश्वनी यूके में हैं।
आठवीं और दूसरी कक्षा पास जालसाजों के गिरोह के मुखिया ब्रिटिश नागरिकों को मूर्ख बना उनके खाते से पैसा ट्रांसफर कराकर चूना लगाते थे। यह गिरोह इस तरह से काम करता था कि इसकी भनक खुद उनके यहां में काम करने वाले कर्मचारियों तक को नहीं थी। यही नहीं इस गिरोह का खुलासा किसी जालसाजी के शिकार की शिकायत पर नहीं बल्कि कुछ लोगों के संदेह प्रकट करने पर हुआ। पुलिस अफसर भी सन्न रह गए जब उन्हें पता चला कि गिरोह चलाने वाले महज दूसरी और आठवीं पास हैं। यही नहीं इनमें पटना और झारखंड से जुड़े कुछ जालसाजों का जामताड़ा कनेक्शन भी मिला है। फिलहाल पुलिस की जांच जारी है। जालसाजों को पकड़ने वाली टीम को एसएसपी की तरफ से 25 हजार रुपये का इनाम दिया गया है।
जालसाजी के गिरोह में शामिल सभी 12 सदस्यों के अलग-अलग किरदार थे। यही 12 आरोपित ही जालसाजी के बारे में जानते थे। अन्य युवक-युवतियां भी कॉल सेंटर पर काम करने आते और उनके द्वारा दी गई स्क्रिप्ट के हिसाब से बात करते और चले जाते थे। उनसे सिर्फ कॉल कराई जाती और जब वह इंटरनेट स्पीड बढ़ाने की बात पर किसी ब्रिटिश नागरिक को तैयार कर लेते तो वहीं उनका काम खत्म हो जाता और फिर जालसाज शिकार को पकड़ लेते। कॉल ट्रांसफर होने के बाद इस बात का ख्याल रखा जाता कि जिस युवक ने बात की है, वह आगे की बात न सुन सके। इसलिए कुछ लोग कॉल सेंटर के मुख्य आफिस में निगरानी भी करते रहते। इनका सर्वर कोलकाता में है।
इन 12 जालसाजों में अंकित दत्ता, आकाश गुप्ता और आदित्य मिश्रा ने तो कम्पनी ही बनाई है लिहाजा पूरा खेल इन्हीं के देख-रेख में चलता था। आदित्य मिश्रा और विनोद सर्वर उपलब्ध कराते थे जिससे बात डिस्कनेक्ट न हो और किसी तरह की अन्य दिक्कत न आए। जबकि आशीष और कादिर खुद को नेशनल क्राइम एजेंसी एंटी फ्राड स्क्वाड का अधिकारी बनकर पैसा डमी एकाउंट ट्रांसफर कराते। इनका झारखंड के जामताड़ा का कनेक्शन भी सामने आया है। जबकि जुनैद और अश्वनी डमी एकाउंट के साथ ही ब्रिटिश नागरिकों का डाटा उपलब्ध कराते थे और वही पैसा इंडिया भी भेजते थे।
कॉल सेंटर में बैठे युवकों को अंग्रेजी में एक स्क्रिप्ट दी जाती थी। उसी हिसाब से ब्रिटिश नागरिक से बात करनी होती थी। स्क्रिप्ट के मुताबिक उनसे इंटरनेट स्पीड चेक करने व बढ़ाने में मदद की बात कही जाती थी। ब्रिटिश नागरिक के तैयार होने पर कॉल सुपरवाइजर को ट्रांसफर कर दी जाती थी। सुपरवाइजर, फंसाए गए ब्रिटिश नागरिकों से ‘व्हाट इज माई आईपी’ सर्च करने को कहता था। इसे सर्च करते ही इंटरनेट में रुकावट की बात आती थी, उसे ठीक करने के लिए सुपरवाइजर कॉल अपने सीनियर कादिर और आशीष पाण्डेय उर्फ गब्बू को ट्रांसफर करते थे।