एल नीनो 2023 की तुलना में 2024 को बना सकता है अधिक गर्म, यूएन ने दी चेतावनी
नई दिल्ली (विवेक ओझा): वर्ष 2023 रिकॉर्ड स्तर पर गर्म वर्ष रहा लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि 2024 एल नीनो के प्रभाव ( El Nino influence) में पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक गर्म रह सकता है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के दौर में यूएन की यह चेतावनी मायने रखती है। गर्म वर्ष ( Hotter year) हीट स्ट्रोक जैसी समस्याओं को पैदा करते हैं, कामगारों की उत्पादकता ( labour productivity) भी इससे प्रभावित होती है। यूएन के विश्व मौसम विज्ञान संगठन ( World Meteorological organization) और यूएस नेशनल ओशेनिक एंड एटमॉशफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन दोनों ने 2024 के अपेक्षाकृत अधिक गर्म वर्ष रहने का आंकलन किया है। इसके अलावा भी WMO का कहना है कि 2024 ऑल टाइम पांच सबसे गर्म वर्षों में से एक रहेगा।
एल नीनो क्या है :
आसान भाषा में समझें, तो अल नीनो के कारण तापमान गर्म होता है, वहीं, ला नीना के कारण तापमान ठंडा। अल नीनो प्रशांत महासागर में असामान्य रूप से गर्म पानी की मौजूदगी के जलवायु प्रभाव का नाम है। अल नीनो के दौरान, मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म होता है। पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ती हैं और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाली गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है. ला नीना की स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर उत्पन्न होती है। इसकी वजह पूर्व से बहने वाली काफी तेज गति की हवाएं होती हैं। इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और तापमान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है।
अल नीनो और ला नीना का भारत पर प्रभाव :
मौसम वैज्ञानिकों ने इस साल अल नीनो की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका जताई है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश पर इसका बेहद बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। अल नीनो के कारण भारत में रिकॉर्ड स्तर पर गर्मी की ताप झेलनी पड़ सकती है। सूखे की मार झेलनी पड़ सकती है। भारत के कई राज्यों में भयंकर गर्मी पड़ सकती है। ऐसे में राजस्थान जैसे राज्यों में जल संकट हो सकता है, क्योंकि गर्मी के कारण तलाब सूख जाते हैं। वहीं, नदियों में जल स्तर भी गिर सकता है। इसका सीधा असर सिंचाई पर होगा और पैदावार कम हो सकती है।