चुनावी चर्चा- उर्मिला पर गोविंदा की मार
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मुंबई। सन 2004 के आम चुनावों में गोविंदा ने जिस सीट से राम नाईक जैसे भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता को हराकर सनसनी फैलाई थी, उसी सीट पर अब कांग्रेस पार्टी ने उर्मिला मातोंडकर को चुनाव मैदान में उतारा है, जो गोपाल शेट्टी जैसे ताकतवर भाजपा नेता का मुकाबला कर रही हैं।
उर्मिला बालीवुड से हैं, तो जाहिर है कि वे अपने प्रचार में अपने समुदाय के सितारों को देखना चाहती हैं, लेकिन अभी तक कहीं कोई सफलता नहीं मिली है। फिल्मी सितारों के प्रचार में उर्मिला के एक दोस्त को एक विचार सूझा कि गोविंदा को प्रचार के लिए बुलाया जाए।
जैसा कि बताया जाता है कि गोविंदा से संपर्क किया गया और उर्मिला ने खुद इस मामले में पहल की। वे गोविंदा के साथ फिल्म कुंवारा में बतौर हीरोइन काम कर चुकी हैं। गोविंदा ने उर्मिला की बातों को ध्यान से सुना और झट से मान भी गए। उन्होंने चौबीस घंटे मांगे, ताकि वे बता सकें कि कब प्रचार से जुड़ेंगे। उर्मिला प्रसन्न हो गईं कि गोविंदा जैसे सितारे से उनके प्रचार में ग्लैमर का रंग जुड़ जाएगा। गोविंदा तो गोविंदा हैं और अपने लंबे कैरिअर में उनको लेकर एक ही बात है, जिस पर हर कोई सहमत होता है कि गोविंदा कभी भी किसी को भी टांग सकते हैं।
तीन दिनों बाद भी गोविंदा का जवाब नहीं आया, तो पता चला कि गोविंदा ने उस पार्टी को टांगने में संकोच नहीं किया, जिसे लेकर वे कभी कहा करते थे कि वे देश और सोनिया जी का आदेश से ज्यादा कुछ महत्वपूर्ण नहीं मानते। कांग्रेस ने तो पिछले दोनों चुनावों में गोविंदा को छुआ नहीं था।
उर्मिला को जरुर लग रहा था कि वे मान जाएंगे। अब उर्मिला खुद पछता रही होंगी कि उन्होंने गोविंदा के लिए ऐसा सोचा तो क्यों सोचा। गोविंदा को जानने वाले तो अब भी यही कहते हैं, क्या आप उनको नहीं जानते। अगर गोविंदा ने अपना ये रवैया बदल दिया होता, तो वे बालीवुड में इस तरह से हाशिए पर नहीं पंहुचे होते।