भारत की सड़कों पर सरपट दौड़ेंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, बड़ा रोड मैप बना रहा नीति आयोग; जाने बड़ी बातें
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नई दिल्ली: दुनिया भर में तेजी से बढ़ते कार्बन उत्सर्जन की वजह से जहरीले होते जा रहे धरती के पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में भारत के नीति आयोग ने भी महत्वपूर्ण कदम उठाना शुरू किया है. आयोग ने भारत के कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अधिकतम संख्या में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की कवायद शुरू की है. इसके लिए एक दिन पहले शुक्रवार (13 अक्टूबर) को “महारत्नों” के साथ एक बैठक की है.
नीति आयोग के सलाहकार सुधेंदु सिन्हा ने मीटिंग की अध्यक्षता की. उन्होंने कहा, “जहां तक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का सवाल है, यह राष्ट्रीय हित में है और इसीलिए इस पर जोर दिया गया है. वे अपने तरीके से इस पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं और हम सिर्फ ये समझना चाहते थे कि वे क्या योजना बना रहे हैं और किस प्रकार आगे बढ़ रहे हैं. महारत्नों के पास बहुत अच्छी संख्या में बेड़े (ईवी) हैं और इसलिए हम जानना चाहते थे कि वे इसे कैसे आगे बढ़ाने का प्रस्ताव रखते हैं. बैठक सकारात्मक रही.”
नरेंद्र मोदी सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक नए निजी वाहन पंजीकरण में 30 फीसदी ईवी शामिल हों. अगर यह लक्ष्य हासिल होता है तो 2030 तक 8 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन भारत की सड़कों पर चलेंगे, जो कार्बन उत्सर्जन कम करने में बड़ा प्रभावी होगा. सड़कों पर बैटरी की चार्ज खत्म हो जाने के बाद बिना रुके ये वाहन गंतव्य की और बढ़ते रहें, इसके लिए भारत को कुल 39 लाख सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की आवश्यकता होगी. प्रति 20 वाहनों पर 1 स्टेशन के अनुपात में देश को कुल 46,000 चार्जिंग स्टेशनों की आवश्यकता होगी. वर्तमान अनुपात, प्रति 135 ईवी पर लगभग 1 चार्जिंग स्टेशन है. यह प्रति 6 से 20 ईवी पर 1 चार्जिंग स्टेशन के वैश्विक अनुपात से काफी कम है.
महारत्नों की ओर से उठाए गए बिंदुओं पर बोलते हुए सिन्हा ने कहा कि कंपनियों ने कहा कि ईवी को अपनाना न केवल छोटे वाहनों तक सीमित होगा, बल्कि उनकी मशीनों और उपकरणों तक भी विस्तार किया जाएगा. सिन्हा ने कहा, “उनमें (महारत्न) से कुछ तेल विपणन कंपनियों के लिए और चार्जिंग बुनियादी ढांचे में काम कर रहे हैं. इसलिए हम सिर्फ उन पहलों का जायजा लेना चाहते थे जो वे स्वयं कर रहे हैं. हम यह भी देखना चाहते हैं कि क्या हम इसे मिलाजुला कर अपनी जरूरत के लिए कुछ अलग आइडिया अपना सकते हैं या नहीं. सिन्हा ने यह भी खुलासा किया कि बैठक में शामिल कोल इंडिया लिमिटेड ने यह मुद्दा उठाया कि कैसे उनके वाहनों को खदानों जैसे सुदुर क्षेत्रों की यात्रा करनी होगी जहां स्थितियां उपयुक्त नहीं होतीं. इसलिए उनकी आवश्यकताएं एसयूवी तक सीमित हैं.”
सिन्हा कहते हैं, “इतना ही नहीं, बहुत सारे सरकारी संगठन और कार्यालय अपनी मशीनों को आईसीई/गैसोलीन फ्यूल से इलेक्ट्रिक में बदल रहे हैं. महारत्न भी ऐसा कर रहे हैं और वे इसे थोड़े अधिक आक्रामक तरीके से कर रहे हैं. यह बहुत सकारात्मक है. इसलिए नीति आयोग यह देखना चाहता था कि इसमें हमारे देश की जरूरत के मुताबिक क्या कुछ हासिल हो सकता है, ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या और बढ़ाने के लिए भविष्य का रोड मैप और साफ हो सके.