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लद्दाख में सामरिक सड़कों के निर्माण पर दिया जा रहा जोर

नई दिल्ली (विवेक ओझा): लद्दाख की सुरक्षा के लिए भारत की विदेश नीति के रणनीतिकार नई नई योजनाओं पर लगातार काम कर रहे हैं और चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सामरिक सड़कों के निर्माण कार्य को तेजी दी जा रही है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है ताकि चीन को यह संदेश मिल सके कि भारत अपने भूक्षेत्र में एलएसी इंफ्रा डेवलप करने में अब संकोच नहीं करता। चीन ने ये मान लिया था कि भारत एलएसी से लगे अपने इलाकों में भी सीमा अवसंरचना विकसित करने की नही सोचेगा लेकिन भारत ने चीन के इस भ्रम को तोड़ दिया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने 25 मार्च, 2024 को लद्दाख में रणनीतिक निम्मू-पदम-दारचा सड़क को जोड़ा है। कुल 298 किलोमीटर की यह सड़क कारगिल-लेह राजमार्ग पर दारचा और निम्मू के माध्यम से मनाली को लेह से जोड़ेगी।

यह सड़क अब मनाली-लेह और श्रीनगर-लेह के अलावा तीसरी धुरी है, जो लद्दाख को दूरदराज के इलाकों से जोड़ेगी । निम्मू-पदम-दारचा सड़क का रणनीतिक महत्व इस तथ्य से स्पष्ट है कि यह न केवल अन्य दो धुरियों की तुलना में छोटी है, बल्कि केवल एक दर्रे – शिंकुन ला (16,558 फीट), जिस पर बीआरओ द्वारा सुरंग का काम शुरू होने वाला है- से होकर गुजरती है। इसके परिणामस्वरूप यह सड़क लद्दाख क्षेत्र से हर मौसम में जुड़ी रहेगी। यह कनेक्टिविटी रक्षा तैयारियों को मजबूत करेगी और जांस्कर घाटी में आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।

डीजी बॉर्डर रोड्स लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने कहा कि जनवरी में, जब जांस्कर नदी जमी हुई थी, उपकरण व कर्मियों को जुटाया गया और कनेक्टिविटी स्थापित करने का काम पूरा किया गया। उन्होंने विश्वास जताया कि इस सड़क पर ब्लैक टॉपिंग का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा, शिंकुन ला सुरंग का निर्माण शुरू होने के साथ, लद्दाख के लिए तीसरी सभी मौसम में खुली रहने वाली धुरी स्थापित हो जाएगी।

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