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सरकार की उदासीनता के कारण गांवों से समाप्त हुआ रोजगार: राजनाथ


बाराबंकी: विश्व मजदूर दिवस एवं मधु लिमये जयन्ती पर देश में जगह जगह लॉकडाउन की वजह से भुखमरी और बदहाली की चपेट में आए तीस फीसदी मेहनतकशों की परेशानी को याद किया गया। देशबंदी के कारण जिन मजदूरों का रोजगार छिन गया तथा जो मजदूर भूख से मर गए एवं हादसों में अपनी जान गवां दी। उनके प्रति संवेदना प्रकट करते हुए देशभर के समाजवादियों ने उपवास रखा। उपवास की समाप्ति के बाद दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी गई।

शुक्रवार को जनपद के प्रख्यात समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने बेलहरा हाउस स्थित अपने आवास पर उपवास रखा। शर्मा के साथ उनके पौत्र विख्यात शर्मा उर्फ पार्थ ने भी एक दिन का उपवास रखकर मजदूरों की मांगों का पुरजोर समर्थन किया।

शर्मा ने बताया कि रेलवे विभाग, नगर पालिका सहित सभी सरकारी विभागों में दैनिक मजदूरों की हालत दयनीय है। विभिन्न सरकारी संस्थानों में कार्य करने वाले मजदूरों को न्यूनतम मानदेय नहीं मिल रहा है। उनकी आय दैनिक मजदूरी से कम होने के कारण सामान्य जीवन जीना असम्भव हो गया है।

शर्मा ने कहा कि सरकारी एवं अद्र्ध सरकारी विभागों में कार्य करने वाले सफाईकर्मी, विद्युत कर्मी तथा विभागीय ठेकेदारों के अधीन कार्यरत मजदूरों को उनकी मेहनत का मानदेय नही दिया जा रहा है।

जिन मजदूरों का श्रम विभाग में पंजीकरण नहीं है उन्हें पंजीकृत करने की सरकार कोई मुहिम नहीं चला रही है। जिससे उन्हें न्यूनतम मजदूरी से भी कम मानदेय पर जीवन यादवन करना पड़ रहा है। यही नहीं फैक्ट्री, कल-कारखानों एवं निजी संस्थानों में कार्य करने वाले सभी मजदूरों का श्रम विभाग में पुजीकरण न होने से उन्हें बीमा का भी लाभ नहीं मिलता है। ऐसे में उन मजदूरों के न रहने पर उनका परिवार बदहाली का शिकार हो जाता है। जिस ओर सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। शर्मा ने कहा कि राज्य सरकारों की उदासीनता के कारण गांवों में रोजगार समाप्त हो रहा है।

जिस कारण गांव में रहने वाला किसान दूसरे प्रान्तों में न्यूनतम मानदेय से भी कम मानदेय पर अपना व परिवार का भरण पोषण कर रहा है। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के चलते देश में लॉक डाउन की स्थिति उत्पन्न हुई। अचानक देशबंदी के कारण करोड़ो मजदूर बेगारी के शिकार हो गए। उनका रोजगार तो छीना ही उनके घर वापसी की उम्मीद पर भी लॉक डाउन लग गया। यातायात की समुचित व्यवस्था न होने के कारण उन्हें दरबदर भटकना पड़ा।

इस अवसर पर जमुना प्रसाद बोस (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी), प्रो राजकुमार जैन (वरिष्ठ समाजवादी चिंतक, नई दिल्ली), प्रो आनंद कुमार (वरिष्ठ समाजवादी विचारक, दिल्ली), रामगोबिंद चैधरी (वरिष्ठ समाजवादी, नेता प्रतिपक्ष विधानसभा उप्र, लखनऊ), राजनाथ शर्मा (गांधीवादी विचारक, बाराबंकी), जितेंद्र पांडेय शैलानी (वरिष्ठ समाजवादी चिंतक, देवरिया), धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव (संयोजक लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति, लखनऊ), रमाशंकर सिंह, (समाजवादी चिंतक, ग्वालियर), एस.एस नेहरा (अधिवक्ता सुप्रीमकोर्ट, नई दिल्ली), बलदेव सिंह सिहाग (साम्यवादी चिंतक, हरियाणा), अनिल त्रिपाठी (वरिष्ठ समाजवादी नेता, लखनऊ), पाटेश्वरी प्रसाद (जिलाध्यक्ष हिन्दी पत्रकार एसोसिएशन उप्र) सहित कई अन्य देश के समाजवादी एवं गाँधीवादी उपवास पर बैठे रहे।

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