राजस्थान पेपर लीक मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने 5 लोगों को किया गिरफ्तार
नई दिल्ली ( विवेक ओझा) : प्रवर्तन निदेशालय ने आज राजस्थान पेपर लीक मामले से जुड़े मनी लांड्रिंग केस में पांच और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पिछले साल सीनियर टीचर्स 2nd ग्रेड कम्पिटीटिव एग्जाम में पेपर लीक मामले में मनी लांड्रिंग का मामला भी सामने आया था। इसके लिए जिन दोषियों को जिम्मेदार माना गया वो हैं: सुरेश कुमार , विजय दामोरे, पीराराम, पुखराज और अरुण शर्मा।
अब इन सभी को आज प्रवर्तन निदेशालय ( Enforcement Directorate) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 के तहत गिरफ्तार किया है। जयपुर में स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ( PMLA Court) इन सभी को तीन दिन की ED Custody में भेज दिया गया है। इस तरह की कार्यवाही निश्चित रूप से धांधली और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ न करने देने के लिए बेहद ज़रूरी है।
एक बेहतर परीक्षा संस्कृति के विकास में ED इस रूप में अहम भूमिका निभा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े तथ्य: प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना 1 मई, 1956 को हुई थी, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम,1947 (फेरा,1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक ‘प्रवर्तन इकाई’ गठित की गई थी। मनी लांड्रिंग के जरिए टैक्स चोरी को बढ़ावा मिलता है। चूंकि इससे सरकार को आर्थिक क्षति होती है, इसलिए सरकारी नजर में यह गलत कार्य माना जाता है।
भारत सरकार का प्रवर्तन निदेशालय (ED) भ्रष्टाचार, संदिग्ध वित्तीय लेनदेन, ब्लैक मनी , मनी लांड्रिंग और अन्य आर्थिक अपराधों से निपटने के लिए अधिकार प्राप्त है। इसमें आर्थिक अपराध विशेषज्ञ शामिल होते हैं। यह संगठन गोपनीय तरीके से जानकारियां एकत्र कर समय समय पर छापेमारी करती है। पकड़े जाने पर ब्लैक मनी जब्त करती है और आरोपितों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करती है। पीएमएलए कानून के तहत मनी लांड्रिंग में लगे लोगों को अधिकतम 10 साल के कारावास की सजा का प्रावधान है।