व्यापार

EPFO का बड़ा फैसला: पूरी सैलरी पर नहीं मिलेगी पेंशन

भविष्य निध‍ि संगठन (EPFO) ने पूरी सैलरी के आधार पर इग्जेम्प्ट कंपनियों के कर्मचारियों को पेंशन देने से इनकार कर दिया है. ईपीएफओ के इस फैसले का गुरुवार को होने वाली सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की मीटिंग में कड़ा विरोध हो सकता है.

अब पूरी सैलरी पर नहीं मिलेगी पेंशन, EPFO ने खड़े किए अपने हाथसुप्रीम कोर्ट भी दे चुका है निर्देश

विरोध की ज्यादा आशंका इसलिए भी है कि क्योंकि सभी को ज्यादा  पेंशन देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पिछले साल खुद आदेश दे चुका है. ऐसे में ईपीएफओ के इस रुख से सीबीटी का नाराज होना लाजमी है.

इग्जेम्प्ट कंपनियों को लेकर है बहस

इग्जेम्प्ट कंपनियां वो कंपनियां होती हैं, जिनका भविष्य न‍िधि से जुड़ा कामकाज एक निजी ट्रस्ट करता है. वहीं, जिन कंपनियों के फंड की देखरेख ईपीएफओ के ट्रस्ट द्वारा की जाती है, उन्हें अनइग्जेम्प्ट कंपनी के तौर पर जाना जाता है.  

पहले हुआ था तैयार

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ईपीएफओ पहले इस चीज के लिए तैयार हुआ था कि वह इम्प्लॉइज पेंशन स्कीम (ईपीएस) के तहत रजिस्टर्ड सदस्यों को बीते वक्त से लागू करके पूरी सैलरी पर पेंशन देगा.  लेक‍िन तब ईपीएफओ ने यह साफ नहीं किया था कि यह इग्जेम्प्ट श्रेणी के लिए है या फिर अनइग्जेम्प्ट श्रेणी की खातिर.  बाद में ईपीएफओ ने सिर्फ अनइग्जेम्प्ट श्रेणी की कंपनी के कर्मचारियों को ही यह फायदा देने का फैसला लिया था.

 ये है मौजूदा अंशदान

मौजूदा समय में ईपीएफओ ईपीएस के तहत तनख्वाह का 8.33 फीसदी अंशदान को मंजूरी देता है. इसके लिए अध‍िकतम सैलरी सीमा 15 हजार रुपये रखी गई है. इसके अलावा पेंशन भी 15 हजार रुपये प्रति महीने की सैलरी के आधार पर ही दी जाती है. पहले यह अध‍िकतम सीमा 6500 रुपये थी.

…तो बढ़ जाएगी पेंशन

ईपीएफओ की तरफ से अगर पूरी सैलरी पर अंशदान को मंजूरी दी जाती है,  तो रिटायरमेंट के वक्त पेंशन भी कुल औसत सैलरी के हिसाब से दी जाएगी। पूरी तनख्वाह के हिसाब से पेंशन का भुगतान वर्तमान में तयशुदा सीमा से काफी ज्यादा होगा. लेकिन इसके लिए ईपीएफओ फिलहाल तैयार नहीं है.

ये है ईपीएफओ का तर्क

उसने कहा है है कि कर्मचारियों और कंपनी, दोनों को ही तय सीमा के पार तनख्वाह जाने के 6 महीने के भीतर इसके लिए इजाजत लेनी चाहिए थी. सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ को 6 महीने की  इस समय सीमा को हटाने का आदेश दिया था.

Related Articles

Back to top button