आज लोकसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट पेश करेगी ‘एथिक्स कमेटी’, जा सकती है महुआ की सांसदी! 6 मेंबर्स का TMC सांसद के खिलाफ वोट
नई दिल्ली: एक बड़ी खबर के अनुसार TMC सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) से जुड़े ‘कैश फॉर क्वेरी’ (Cash For Query) के मामले की जांच कर रही एथिक्स कमेटी (Ethics Committe) आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला (Om Bidla)को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद यह रिपोर्ट 4 दिसंबर से शुरू हो रहे विंटर सेशन में लोकसभा में भी पेश की जाएगी। वहां, सिफारिश को लेकर जरुरी वोटिंग हो सकती है।
जानकारी दें कि BJP के लोकसभा सदस्य विनोद कुमार सोनकर (Vinod Kumar Sonkar) की अध्यक्षता में कमेटी ने बीते गुरुवार को बैठक की और 479 पन्नों की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। बता दें की ‘एथिक्स कमेटी’ द्वारा किसी सांसद के खिलाफ की गई यह पहली ही कार्रवाई है, जो फिलहाल तेज-तर्रार सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ हुई है। हालांकि साल 2005 में ‘रिश्वत लेकर सवाल पूछने’ के एक अन्य मामले में 11 सांसदों को संसद से निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन उनके निष्कासन की सिफारिश राज्यसभा की आचार समिति और लोकसभा जांच समिति द्वारा ही गई थी।
इस रिपोर्ट की मानें तो सोनकर के मुताबिक, सांसद महुआ (Mahua Moitra) को 6:4 के बहुमत से आईडी लॉगइन आईडी और पासवर्ड दूसरों के साथ साझा करने के ‘अनैतिक आचरण’ का दोषी पाया गया है। इस कमेटी के 10 में से 6 मेंबर्स ने महुआ को लोकसभा से निष्कासित करने के पक्ष में वोट दिया था। वहीँ अन्य 4 मेंबर्स ने विपक्ष में वोट डाला था। कमेटी के जिन 4 सदस्यों ने महुआ के निष्कासन का विरोध किया था, उन्होंने इस पूरी रिपोर्ट को सरासर पूर्वाग्रह से ग्रस्त और गलत बताया था। उन्होंने कहा था कि दर्शन हीरानंदानी को पैनल के सामने पेश होने का मौका नहीं दिया गया। दर्शन सिर्फ अपना हलफनामा ही दाखिल कर पाए हैं।
क्या है पूरा मामला
यह पूरा मुद्दा तब शुरू हुआ जब BJP सांसद निशिकांत दुबे ने वकील जय अनंत देहाद्राई के माध्यम से तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक शिकायत भेजी, जिसमें उन पर अडाणी समूह एवं प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर सदन में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने का संगीन आरोप लगाया गया था। इस मामले में आचार समिति की बैठक बीते 26 अक्टूबर को हुई थी जिसमे निशिकांत दुबे और देहाद्रई ने पेश हुए थे। इसके बाद 2 नवंबर को मोइत्रा समिति के समक्ष उपस्थित हुई थीं।