#EURO CUP 2016: जानिए किस स्ट्रेटजी के साथ मैच खेलने के लिए उतरती हैं टीमें, बदलती रहती हैं रणनीति
एजेंसी/ चपलता, चालाकी और शारीरिक स्फूर्ति के खेल फुटबॉल में टीम जब मैदान में उतरती है तो उसकी रणनीति प्रतिद्वंद्वी टीम की महारत और कमजोरियों के अनुसार होती है। विरोधी टीम के प्रत्येक खिलाड़ी के लिए स्ट्रेटजी बनाई जाती है।
बराबर की टीमें हमेशा गेंद को मैदान के बीच में रखने का प्रयास करते हुए चालाकी के साथ विरोधी टीम के खिलड़ियों को चकमा देकर गोल करने का प्रयास करती हैं। यदि सामने वाली टीम का डिफेंस कमजोर है तो पहली टीम आक्रामक खेल की रणनीति बनाएगी। वहीं दूसरी टीम रक्षात्मक रणनीति बनाकर गोल से वचने का प्रयास करते हुए आक्रमण करेगी, और गेंद को ज्यादा से ज्यादा अपने पास रखने की रणनीति अपनाएगी।
अगर किसी टीमें आक्रमण में कमजोरी है तो सामने वाली टीम ज्यादा से ज्यादा समय गेंद विरोधी टीम के पाले में रखने का प्रयास करते हुए गोल करने की रणनीति अपनाएगी। इसी तरह मैदान पर उतरने से पहले टीमें विरोधी टीम के स्टार खिलाड़ियों को रोकने के प्रयास की रणनीति भी बनाती हैं। यदि कोई खिलाड़ी जोरदार आक्रमण में माहिर है तो विरोधी टीम का प्रयास रहेगा कि गेंद उसके पास ही ना जाने पाए।
यदि किसी टीम का कोई खिलाड़ी गोल का अच्छा बचाव करने में सिद्धहस्त है तो विरोधी टीम की रणनीति रहेगी कि वह अपने अच्छे आक्रमणकर्ता को मैदान पर भेजे और उस खिलाड़ी को गोल से दूर रखने का प्रयास किया जाए।
इतना ही नहीं टीमें विरोधी टीम के गोलकीपर के लिए भी रणनीति बनाकर मैदान में उतरती हैं। यदि कोई गोलकीपर गोल बचाने में ज्यादा ही माहिर है तो विरोधी टीम का प्रयास हरेगा कि डी में गेंद ले जाने के बाद जल्दी—जल्दी पास देकर गोलकीपर का ध्यान बंटाते हुए गोल करे।
यदि सामने वाली टीम अपने एवजी खिलाड़ी के रूप किसी अच्छे खिलाड़ी को उतार देती है तो विरोधी टीम को उस खिलाड़ी के खेल के अनुसार अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ता है। और वह अपनी टीम में भी उस खिलाड़ी को टक्कर देने वाले खिलाड़ी को एवजी खिलाड़ी के रूप में उतार सकती है।