एडमिशन के बाद भी विदेश में पढ़ाई करना आसान नहीं, हजारों छात्र वीजा के इंतजार में अटके
नई दिल्ली : विदेश में एडमिशन ले चुके हजारों भारतीय छात्रों को वीजा नहीं मिलने के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले तीन-चार महीनों से वीजा का इंतजार कर रहे छात्रों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। वह यूनिवर्सिटी की ट्यूशन फीस और हॉस्टल की फीस भी भर चुके हैं और ज्यादातर छात्रों के सत्र शुरू भी हो चुके हैं। लेकिन वीजा नहीं मिल पाने के कारण छात्र यहीं अटके हुए हैं। विदेश मंत्रालय को जिन आठ देशों के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें मिली थीं, उनके दूतावासों को जवाब-तलब भी किया गया है। लेकिन इसके दो सप्ताह के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है।
नाम नहीं छापने के अनुरोध पर एक छात्र ने बताया कि कनाडा की यूनिवसिर्टी में उसका एडमिशन हो चुका है। उसने विगत 4 मई को समस्त दस्तावेज दूतावास में जमा करा दिये थे लेकिन अभी तक पता नहीं है कि वीजा कब मिलेगा। आमतौर पर दो से चार सप्ताह का समय लगता है। इसी प्रकार कई छात्रों को वीजा प्रोसेसिंग एजेंसी वीएफएस ग्लोबल में दस्तावेज जमा कराने के लिए तिथि नहीं मिल रही है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि 24 जून को आठ देशों अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा, आस्ट्रेलिया, पोलेंड, न्यूजीलैंड, चेक गणराज्यों के दूतावासों से वीजा में हो रहे विलंब को लेकर बात की गई। क्योंकि विदेश मंत्रालय को भारी तादात में छात्रों की शिकायतें मिल रही थीं। उसके बाद भी स्थिति में सुधार आता नहीं दिख रहा है। शिकायतें लगातार मिल रही हैं। मंत्रालय ने कहा कि स्थिति की निगरानी की जा रही है और यदि जरूरत पड़ी तो फिर से इसे उच्च स्तर पर उठाया जाएगा।
इस मामले में दूतावासों का कहना है कि कोविड प्रतिबंधों के हटने के बाद विदेश जाने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। नौकरी के लिए जाने वाले भी बढ़े हैं। छात्रों की संख्या भी पहले से बढ़ी है। अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और कनाडा चार देश ऐसे हैं जहां इस साल 50-50 हजार से ज्यादा छात्रों ने वीजा के लिए आवेदन किया है।
वीजा में दिक्कतों के कारण जहां छात्रों को दिक्कत हो रही है, वहीं कई दूतावासों से पर्यटकों को अगले साल की तारीख भी मिलनी शुरू हो गई है। दूतावासों में वीजा आवेदन को जांचने आदि के लिए कर्मचारियों की संख्या सीमित है। अचानक आवेदन ज्यादा आने पर तत्काल स्टाफ बढ़ा पाना संभव नहीं होता है क्योंकि इस कार्य के लिए प्रशिक्षित कार्मिक की जरूरत होती है। इसके ज्यादातर दूतावासों में सप्ताहमें चार दिन ही काम आता है।
विदेश मंत्रालय की दूतावासों को दो टूक
-वीजा की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करें, समय सीमा तय की जाए
-प्रक्रिया को तेज किया जाए और ज्यादा कर्मचारियों को लगाया जाए
-छात्रों की पूछताछ का जवाब देने का तंत्र स्थापित करें
2021 में विभिन्न देशों में पढ़ रहे भारतीय छात्र
कनाडा-215720
अमेरिका–211930
आस्ट्रेलिया-92383
ब्रिटेन-55465
जर्मनी-20810