ज्ञानेंद्र शर्माटॉप न्यूज़दस्तक-विशेषफीचर्डसाहित्यस्तम्भ
यहां तो हर शख्स मुँह छुपाए है
प्रसंगवश
स्तम्भ: लॉकडाउन का चौथा अध्याय अब खत्म होने को एक हफ्ता बचा है। अबकी बार लग रहा है इसके बाद पर्दा उठेगा और उस पार अभी जो थोड़ा थोड़ा धुंधला दिखना शुरू हुआ है, इतना साफ हो जाएगा कि और धुंधला दिखने लगेगा। अभी जबकि सब कह रहे हैं कि जल्दी-जल्दी पन्ने पलटो, हमने सोचा कि जहॉ जो इतने दिन रहा, उनसे ही क्यों न पूछे उनके हाल, उनके लॉकडाउन के खट्टे-मीठे अनुभव और आगे के इरादे। पेश हैं इस बातचीत का एक लॉकडाउनी परिदृश्य…
हमने पूछा: तो सर, बताइए कैसी रही लॉकडाउनी तालाबंदी?-
- पंडित जीः न बैंड, न बाजा, न घराती, न बाराती, न जीजा, न फूफा। घर का राशन खा-खा कर तंग आ गए।
- बैंड वालेः इतने दिन से अपना खुद ही बजा रहे थे।
- गृह लक्ष्मीः अब फिर कब आएंगे ऐसे दिन।
- पतिदेवः अब न रहेगी झाड़ू, न पोंछा, न भीगा अंगोछा, वाह-वाह।
- हजरतगंजः क्या कहा, फिर वही जाम, फिर वही मारामारी।
- गॉधी बाबा की मूर्तिः वो भी क्या दिन थे, बस कबूतर भर थे।
- नेता जीः ना हाय-हाय न किच-किच, सारे जनता दरबार फोन पर।
- नेता जी 2: अब तो प्रेसवाले फोन करेंगे बाइट लेंगे और हम जेल जाकर राजनीति फिर से साधेंगे।
- नेता जी 3ः ये पॉलिटिक्स के बिना भी कोई जिंदगी है क्या।
- अफसरः क्या नींद आई गुरू बस पूछो मत।
- अफसर 2: क्या मजा था, सब समस्याएं फोन पर ही हल।
- अफसर 3ः पर ये भी कोई जिंदगी थी, न आगे दरबान, न पीछे बाबू।
- बाबूः हे भगवान्! सारा खर्चा तनख्वाह के जिम्मे, ये भी कोई जिंदगी।
- मजदूर: थोड़ी मोहलत तो भगवान भी देता है पर हे माई बाप, हे सरकार ….
- परिवहन अधिकारीः ओवरलोडिंग से आखें मूंदने के अपने मजे हैं।
- पुजारीः सरकारी गुल्लक की ही पूजा होती रही, बाकी ठन-ठन गोपाल।
- पुजारी 2ः अब तो कोरोना माई का मंदिर बनाएंगे।
- कोरोना माईः मेरी पूजा करो, परसाद चढ़ाओ, आरती करो बस, वैक्सीन मत ढूॅढ़ो, समझे।
- कोविड भाईः दो वैक्सीन नहीं हैं अभी तक: मेरी और तेरी बीबी की।
- लॉकडाउन चाचाः मेरी हिन्दी करने चले थे, तालेबंदी कर दी साले की।
- लॉकडाउन भैयाः हम तुम एक कमरे में बंद थे, क्या चाक चौबंद थे।
- रिपोर्टरः संपादक कहते थे जिस विषय पर लिखना हो, उसमें डूब के लिखो। हम डूब गए और लो अब हो गया कोरोना।
- रिपोर्टर 2ः वो नंगे पॉव चल रहा था, मैंने अपने जूते दे दिए, वो रो पड़ा और मैं भी- सरकारी व्यवस्था पर।
- रिपोर्टर 3ः सर कल ड्यूटी पर आना है कि नहीं…
- संपादक: रहने दो, जब विज्ञापन नहीं तो खाली कोरोना की खबरें छापकर क्या करेंग़े?
- संपादक 2ः बिना विज्ञापन के सिर्फ खबरों के सहारे अखबार छाप-छाप कर तंग आ गए अब तो।
संपादक 3ः ले लो भैया, अखबार से संक्रमण नहीं होता।
- टीवी एंकरः कोरोना पर नेताओं की कितनी लड़ाई कराएं आखिर।
- टीवी एंकर 2ः सारी टीआरपी तो रामायण ले गई।
- टीवी एंकर 3ः रामायण के पात्रों से इंटरव्यू भर पॉपुलर हैं, अब बस।
- छात्रः इतनी लम्बी छुट्टी– वाह रे वायरस, जय हो।
- टीचरः वायरस है फिर भी पढ़ाओ, ये भी कोई जिंदगी है।
- गर्ल फ्रेंड: पास आना ना सांस से सांस मिलाना ना।
- ब्वाय फ्रेंड: न मंदिर, न सिनेमा, अब कहॉ मिलोगी, बोलोे।
- घड़ी डिटर्जेंट: मेरा मास्क तेरे वाले से ज्यादा साफ है, है ना।
- मिठाई वालाः हे भगवान न खुद खाओगे, न जनता को खाने दोगे।
- सरकारी विमानः अरे सीटों से धूल तो साफ कर लो भैया।
- चारबाग के चूहे /आपस में: भिखमंगे हो गए सब यात्री क्या।
- कुलीः मजदूर सब बोझ उठाते हैं, हम यहीं खड़े रह जाते हैं।
- टीटी बज गई थी अपनी खुद की सीटी।
- तांगे वाले: न खुद खा पाए, न घोड़े को खिला पाए।
- टेम्पो वालेः ऐसे दिन तो कभी नहीं आए, इतना ‘लो’ टेम्पो।
- रिक्शे वालेः गॉव भी नहीं लौट पा रहे थे, हम तो।
- फाइव स्टार होटलः किसी भुतहा फिल्म की अच्छी शूटिंग हो सकती थी।
- नाईः हे भगवान् इतना लम्बा नवरात्र।
- मास्कः कब तक असलियत छिपा पाओगे गुरू।
- सैनिटाइजरः क्यों हाथ धोकर पीछे पड़े हो जी।
- भैंसाकुंडः हमें साथ ले लो कहॉ जा रहे हो अकेले-अकेले।
- मोदी जीः राष्ट्र के नाम अगला संदेश 31 मई को
और अंत में, कोई तो जुर्म था, जिसमें
सारी दुनिया शामिल थी
तभी तो हर शख्स
मुॅह छिपाए घूम रहा है!!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व सूचना आयुक्त हैं।)