प्रकृति का दिया सब कुछ, फिर भी नेचुरल उत्पाद का बाजार अन्य देशों में अधिक
लखनऊ: राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (नाईपर, रायबरेली) ट्रांजिट कैंपस, बिजनौर–सिसेंडी रोड, लखनऊ में ‘प्राकृतिक उत्पाद आधारित औषधि विकास’ पर 11 वीं संगोष्ठी के आयोजन के दूसरे दिन डॉ शक्ति विनय शुक्ल (निदेशक, एफएफडीसी, कन्नौज) ने नेचुरल उत्पाद पर व्याख्यान देते हुए बताया कि हमारे यहाँ से बना नेचुरल उत्पाद का निर्यात होता है. हमारे पास प्रकृति का दिया सब कुछ है , फिर भी नेचुरल उत्पाद का बाजार भारत के मुकाबले अन्य देश का अधिक है.
शुक्रवार को कार्यक्रम की शुरुआत साइंटिफिक सेशन–5 से हुई जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर प्रदीप भटनागर एवं प्रोफेसर कंचन कोहली ने संयुक्त रूप से की. इसमें सबसे पहले शिरोड बिहारी सथुआ, जयंत पटवा, सृजन वर्मा आदि पीएच डी स्कॉलर ने अपनी मौखिक प्रस्तुति दी. वही आज डॉ अनिल मिश्र (आईएनएमएएस, नई दिल्ली) ने बताया कि प्राकृतिक उत्पादों पर आधारित गैर-निवेश के लिए स्मार्ट प्रक्रियाएं की जरूरत है. सीडीआरआई, लखनऊ के डॉ केभी शाशिधरा ने बताया कि प्राकृतिक तत्व की मात्रा संभावित औषधीय में एजेंटों के रूप में रहती है.
सेशन – 7 में नाईपर, रायबरेली के सहायक व्याख्याता डॉ केशरी नाथ तिवारी ने मेंऑक्सिंडोल आधारित प्राकृतिक उत्पादों की सिंथेटिक प्रदर्शनी के विषय पर प्रकाश डाला. डॉ रितेश सिंह (नाईपर, रायबरेली) ने बताया कि जैव सक्रिय एन – मचानों तक पहुंचने के लिए सी-एच बांड संशोधन की आवश्यकता होती है. वही पोस्टर प्रेजेंटेशन के में अनिर्बान मुख़र्जी (नाईपर, रायबरेली) प्रथम, अशिमा (नाईपर,रायबरेली) और अनुप्रिया सिंह (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) संयुक्त रूप से द्वितीय और हरीश शर्मा और मुकेश मंडल (नाईपर, रायबरेली) तथा संयुक्त रूप से तृतीय रहे. मौखिक प्रस्तुति (ओरल प्रेजेंटेशन) में प्रथम शिरोड बिहारी सथुआ (नाईपर, रायबरेली), सृजन वर्मा द्वितीय (बिट्स पिलानी) रहे. सभी को मुख्य अतिथि डॉ प्रदीप भटनागर, डॉ एसजेएस फ्लोरा (निदेशक), डॉ आरपी त्रिपाठी डीन, डॉ केएन तिवारी कार्यवाहक कुलसचिव ने मोमेंटो देकर सम्मानित किया. अन्त में नाईपर, रायबरेली के निदेशक डॉ एसजेएस फ्लोरा ने संगोष्ठी कार्यक्रम के सचिव डॉ राहुल शुक्ल, उप सचिव डॉ रितेश सिंह एवं नाईपर, रायबरेली के सभी कर्मचारियों को धन्यवाद दिया.