पंजाब में तेजी से फैल रहा Eye Flu, स्वास्थ्य विभाग Alert, जानिए बचाव और रोकथाम के तरीके
पंजाब डेस्क: बरसात के मौसम और हाल ही में आई बाढ़ और जलवायु परिवर्तन के कारण आई फ्लू बढ़ रहा है। आई फ्लू के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए सिविल सर्जन डा. बलविन्द्र कुमार के निर्देशानुसार नेत्र विभाग के नोडल अधिकारी एवं नेत्र विशेषज्ञ डा. संतोख राम लोगों को इसके बचाव के प्रति जागरूक कर रहे हैं। डा. संतोख राम ने तेजी से फैल रही आंखों की बीमारी कंजंक्टिवाइटिस, जिसे आई फ्लू भी कहा जाता है, के बारे में जानकारी सांझा की।
उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में आंखों में संक्त्रमण होना आम बात है, जिससे बचने के लिए सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। यह वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक वायरल संक्त्रमण है जो आपकी आंखों को प्रभावित करता है और एक सप्ताह तक रहता है। छोटे बच्चे, एलर्जी पीड़ित, बुजुर्ग और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोग अधिक जोखिम में हैं। आई फ्लू या किसी भी प्रकार के लाल आंख के संक्त्रमण के मामले में स्व-चिकित्सा न करें और घरेलू उपचार से बचें। आई फ्लू के लक्षण दिखने पर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से संपर्क करें।
डा. संतोख राम ने कहा कि इसे समय रहते बहुत ही साधारण दवाओं से ठीक किया जा सकता है। इसे फैलने से रोकने के लिए सावधानी बरतें। यह संक्त्रमण एक संक्त्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में और साझा वस्तुओं के माध्यम से फैलता है। संक्त्रमित व्यक्तियों के तौलिए, चादरें और अन्य कपड़े अलग किए जाने चाहिएं। संक्त्रमित रोगी द्वारा उपयोग किए गए किसी भी उपकरण को न छुएं।
ये हो सकते हैं आई फ्लू के लक्षण
आंखों में खुजली, आंखों का लाल होना, पलकों में सूजन, संक्त्रमित आंख से सफेद स्राव, नाक बहना, बुखार आदि।
आई फ्लू से बचाव के लिए करें ये उपाय
- नियमित रूप से हाथ धोना चाहिए।
-आंखों को साफ करने के लिए वाइप्स का इस्तेमाल करें।
-अपनी आंंखें न मलें।
-कॉन्टेक्ट लैंस के प्रयोग से बचें।
-आंखों में संक्त्रमण वाले बच्चों को स्कूल न भेजें।
-भीड़-भाड़ वाली जगहों और तैराकी से बचें।
-मरीज को आइसोलेट करें, उसका तौलिया-तकिया अलग रखें और 3 से 5 दिन तक घर पर ही रहें।
-संपर्क से बचने के लिए चश्मा पहनें और स्वच्छता का ध्यान रखें।
-आंखों को साफ पानी से धोएं।
-धुंधली दृष्टि, फोटोफोबिया, आंखों में तेज़ दर्द, 7 दिनों से अधिक समय तक गाढ़ा पीप स्राव जैसे लक्षणों के मामले में नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।