नई दिल्ली : शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की बगावत के बाद महाराष्ट्र में मची सियासी खींचतान के बीच भाजपा भी सक्रिय हो गई है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस दिल्ली पहुंचे हैं जहां उनकी पार्टी के दिग्गज नेताओं के साथ बैठक होनी है। इससे पहले मुंबई में उनकी राज्य भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा हो चुकी है। वरिष्ठ भाजपा नेताओं के बयानों से संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी सूबे में जारी सियासी नाटक को अब और बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है। वरिष्ठ भाजपा नेताओं के बयानों से ऐसा मालूम पड़ता है कि भाजपा अब ‘वेट एंट वाच’ के मोड से बाहर निकल कर स्थितियों को संभालने की दिशा में बढ़ना चाहती है। हाल ही में भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने रविवार को कहा था कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी की सरकार (MVA Govt) दो से तीन दिनों की मेहमान है।
यही नहीं सूबे के भाजपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने भी कहा था कि वह मुंबई में फडणवीस के आधिकारिक आवास पर एक बैठक में शामिल हुए थे, जहां पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। हालांकि मुनगंटीवार ने यह भी कहा था कि उनकी पार्टी राज्य में मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर ‘वेट एंड वाच’ का रुख बनाए हुए है। लेकिन सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (BJP leader Devendra Fadnavis) की सक्रियता से संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी अब ‘वेट एंड वाच’ के मोड से बाहर निकलकर सूबे में जारी उठापटक (political turmoil in Maharashtra) की स्थितियों को संभालना चाहती है।
पार्टी के एक पदाधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआइ को बताया कि फडणवीस एक दिग्गज वकील के साथ नई दिल्ली रवाना हुए थे। इससे संकेत स्पष्ट है कि भाजपा सूबे में जारी हालात के समाधान को लेकर कानूनी पहलुओं पर भी गौर कर रही है। सूत्रों की मानें तो शिवसेना के बागी धड़े के नेता एकनाथ शिंदे भी कुछ समय के लिए गुवाहाटी से प्रस्थान कर दिग्गजों से रायशुमारी कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि सूबे के सियासी संकट का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट के रुख से उद्धव ठाकरे गुट को झटका लगा है। साथ ही बागी गुट को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने 16 विद्रोही विधायकों को डिप्टी स्पीकर द्वारा भेजे गए अयोग्यता नोटिस का जवाब देने की समय सीमा 12 जुलाई तक बढ़ा दी है। साथ ही महाराष्ट्र सरकार से विद्रोही विधायकों की जानमाल की सुरक्षा करने को कहा है। सनद रहे शीर्ष अदालत ने अभी तक फ्लोर टेस्ट कराने पर रोक नहीं लगाई है।