जे. पी. सत्ता में पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित कराना चाहते थे: फागू चौहान
पटना। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने शनिवार को कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण को सत्ता का मोह कभी नहीं था। वह सत्ता में पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करना चाहते थे। राज्यपाल शनिवार को जय प्रकाश नारायण अध्ययन केंद्र, जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के तत्वावधान में प्रसिद्ध चिंतक, समाजवादी नेता और प्रखर वक्ता लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) प्रथम व्याख्यानमाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि जे. पी. गांधीजी के सच्चे अनुयायी थे, जिन्होंने उनके जीवन दर्शन को केवल आत्मसात ही नहीं किया, बल्कि समय के साथ उसका प्रकटीकरण भी किया।
राज्यपाल ने जेपी के 5 जून 1975 को दिए गये महत्वपूर्ण भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि वे भ्रष्टाचार, बेरोजगारी आदि बुराइयों को व्यवस्थाजनित मानते थे तथा संपूर्ण क्रांति के माध्यम से व्यवस्था में परिवर्तन लाकर इन्हें दूर करने के पक्षधर गांधीजी के प्रभावस्वरूप उनके विचारों में मौलिक परिवर्तन आए तथा उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़कर देश सेवा का व्रत लिया।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने वर्ष 1974 के छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया। भारतीय जनमानस के प्रति उनकी इस गहरी निष्ठा और आस्था ने ही उन्हें लोकनायक बनाया। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने जयप्रकाश जी को भारतीय समाजवाद का आचार्य कह कर सम्मानित किया था। राज्यपाल ने कहा कि जेपी के लिए देश ही सर्वोपरि था। आज भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के नवीनतम अग्रदूतों में उनकी गिनती होती है।
राज्यपाल ने जे पी व्याख्यानमाला को प्रासंगिक बताते हुए कहा कि देश की अन्य विभूतियों महात्मा गांधी, विनोबा भावे, राम मनोहर लोहिया, पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदि पर भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित कराये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे ज्ञान का सार्वभौमीकरण होगा तथा युवा पीढ़ी को देश के महापुरुषों के जीवन चरित्र से सीखने का अवसर भी प्राप्त होता है।
वीडियो कांफ्रेंन्सिंग के जरिए राजभवन में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, राज्यपाल के सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू, जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति प्रो फारूक अली, प्रतिकुलपति प्रो लक्ष्मी नारायण सिंह सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।