कृषि उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य अध्यादेश 2020
अब किसान अपनी पसंद की जगह बेचेगा अपना उत्पाद
नई दिल्ली: कहते हैं असली भारत गांवों में बसता है और उन गांव में रहते हैं किसान। शायद इसीलिए भारत की अर्थव्यवस्था को कृषि आधारित अर्थव्यवस्था कहते हैं और इस कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के केंद्र में रहने वाले किसान की स्थिति अत्यधिक दयनीय और चिंतनीय होती है।
उसकी दुश्वारियों का सबसे बड़ा कारण यह होता है कि उसे अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पाता क्योंकि उसे अपने उत्पादों को बेचने के लिए उचित बाजार उपलब्ध नहीं होता, इन्हीं समस्याओं को देखकर, महामारी के इस दौर की समीक्षा करके भारत सरकार ने 5 जून 2020 को एक अध्यादेश जारी किया।
इस अध्यादेश को उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य( संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 कहां गया है। इस अध्यादेश से अब किसानों को एपीएमसी से छुटकारा मिलेगा तथा किसान अपनी पसंद की जगह और व्यापारी को अपने उत्पाद को बेच सकेंगे।
इस अध्यादेश में किसानों को विभिन्न प्रकार की सहूलियतें दी गई हैं जैसे अब कोई भी किसान या व्यापारी अन्तर्राज्यीय, राज्य के भीतर किसी व्यापार क्षेत्र में अपने कृषि उत्पादों के व्यापार व वाणिज्य के लिए मुक्त होगा।
कृषि उत्पाद को खरीदने वाले व्यापारियों को अब केवल पैन नंबर की जरूरत होगी और इस कार्य के लिए उन्हें किसी प्रकार की लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं होगी। कृषि उत्पादों के मूल्यों के भुगतान में आने वाली समस्याओं से बचने के लिए इस अध्यादेश में इस बात की व्यवस्था की गई है कि कृषि उत्पादों के खरीदार को उस उत्पाद के मूल्य का भुगतान उसी दिन या 3 दिन के भीतर करना ही होगा और इस तरह के कारोबार में सरकार द्वारा किसी प्रकार का कर या लेवी आरोपित नहीं किया जाएगा।
इस प्रावधान का उल्लंघन करने वाले व्यापारी पर न्यूनतम 25,000 रुपये और अधिकतम पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि उल्लंघन जारी रहता है तो प्रत्येक दिन के हिसाब से 5,000 रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान होगा।
किसानों और व्यापारियों के मध्य किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न होने पर विवाद की शिकायत अनुमंडलीय पदाधिकारी( एसडीएम ) के समक्ष की जाएगी ,एसडीएम को इस मामले की समाधान के लिए 1 बोर्ड गठित करने का अधिकार होगा जिससे जल्द से जल्द विवादों का निपटारा किया जा सके।
अध्यादेश के प्रावधानों को देखकर कहा जा सकता है कि यह अध्यादेश किसानों को उनकी समस्याओं से निजात दिलाने में काफी हद तक कारगर साबित होगा लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है किसानों तक सरकारी मशीनरी के माध्यम से इन अध्यादेश के प्रावधानों की जानकारी पहुंचाना क्यों जमीनी स्तर पर किसानों में जागरूकता की भरी कमी होती है।
उससे बड़ी जरूरत है प्रशासन में सम्मिलित अधिकारियों के अंदर नेक भावना की क्योंकि किसी भी नई योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर होती है। कालांतर में किसानों के लिए ढेर सारी योजनाएं बनती रही है अगर किसानों को इनका लाभ मिला होता हो आज सरकार को अध्यादेश नहीं लाना पड़ता।