FATF की पाक को चेतावनी, आतंकवाद पर रोक लगाए नहीं तो भुगतना होगा गंभीर परिणाम
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करने वाली संस्था ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) ने शुक्रवार को कहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण पर अपनी कार्य योजना को पूरा करने में विफल रहा है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अक्तूबर तक अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने या कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है, जिसके तहत उसे काली सूची में डाला जा सकता है। फ्लोरिडा के ओरलैंडो में अपनी पूर्ण बैठक के समापन पर जारी एक बयान में, एफएटीएफ ने चिंता व्यक्त की, “न केवल पाकिस्तान जनवरी की समय सीमा के साथ अपनी कार्य योजना को पूरा करने में विफल रहा, बल्कि वह मई 2019 तक भी अपनी कार्य योजना को पूरा करने में भी विफल रहा है।” एफएटीएफ ने “कड़ाई” से पाकिस्तान से अक्तूबर 2019 तक अपनी कार्य योजना को पूरा करने का अनुरोध किया है।
आतंकवाद को खत्म करे पाकिस्तान: भारत
वहीं भारत ने पाकिस्तान को कहा है कि वह उम्मीद करता है कि पाकिस्तान एफएटीएफ के एक्शन प्लान को सितंबर तक प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा और अपनी मिट्टी पर पनाह लेने वाले आतंकवाद और आतंकवादी वित्तपोषण से संबंधित वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए आवश्यक उपाय करेगा।
एफएटीएफ की रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि हम पाकिस्तान से उम्मीद करते हैं कि वह वैश्विक चिंताओं को देखते हुए आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने से रोकने के लिए उचित उपाय करेगा।
क्या है एफएटीएफ?
एफएटीएफ एक अंतर्राज्यीय निकाय है, जो धन शोधन तथा आतंकवादी वित्तीयन का सामना करने के लिए मानक निर्धरित करता है। इसकी स्थापना 1989 में हुई थी। इसकी बैठक में समीक्षा की जाती है कि संबंधित देश मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने से रोकने में कितनी प्रगति कर रहा है। ये संस्था पेरिस से संचालित होती है।
पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तान का कहना है कि वह ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए ना सिर्फ संस्था के हर निर्देश पर अमल करने के लिए तैयार है बल्कि अपनी ओर से एक्शन प्लान लागू करने के प्रयास भी कर रहा है। एफएटीएफ पाकिस्तान के प्रयासों का अगला मूल्यांकन अब अक्तूबर 2019 में करेगी।
बीते साल जून में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट वाले देशों की सूची में डाल दिया था। जिनके घरेलू कानूनों को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण की चुनौतियों से निपटने के लिए कमजोर माना जाता है।
पाकिस्तान को होगा नुकसान
ग्रे लिस्ट में बने रहने से पाकिस्तान को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस लिस्ट में जिस देश को रखा जाता है, उसे कर्ज देने में बड़ा जोखिम माना जाता है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पहले से ही बहुत खराब है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं ने भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद और कर्ज देने में कटौती की है।