राजस्थान: मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है,यह पंक्ति सटीक बैठती है करीना पर जिसने अपने परिवार के साथ मिलकर हर मुश्किल का सामना किया। करीना ने बताया कि, मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि कोटा जाकर JEE की तैयारी कर सकूंगी। कोटा में पापा-चाचा आए तो उन्हें लगा कि मुझे यहां आना चाहिए और कोटा के बारे में जितना सुना था, उससे भी अच्छा शहर है। कोचिंग में मुझे पूरा सपोर्ट मिला। पढ़ने का इतना अच्छा माहौल मिला कि मैं अपना सपना साकार करने की तरफ बढ़ रही हूं।
JEE मेन्स में SC कैटेगरी रैंक 43367 प्राप्त की
बता दे कि करीना के पिता कोटा में रिलायबल कोचिंग के बाहर जूस का ठेला लगाते है। वह हर रोज अपने सामने हजारो की संख्या में बच्चों को पढ़ने आते-जाते देखते थे, उनका भी मन होता था कि वह भी अपनी बेटी को इन बच्चों के साथ पढ़ते देखते। एक दिन उन्होंने हिम्मत करके रिलायबल कोचिंग के टीचर्स को बेटी के बारे में बताया था तो उन्होंने बेटी को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली। यहां इंस्टीट्यूट के शिवशक्ति सर ने फीस में रियायत की और उसे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। बेटी ने मेहनत की, पहले चांस में 12वीं के साथ JEE मेन्स पास करके JEE एडवांस्ड के लिए क्वालीफाई कर लिया।बेटी करीना ने JEE मेन्स में SC कैटेगरी रैंक 43367 प्राप्त की है। ओवरआल रैंक 586985 है और NTA स्कोर 61.0211990 है।
करीना ने 10वीं में 77 प्रतिशत अंक प्राप्त किए
करीना ने 10वीं में 77 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। पिता भरत कुमार और चाचा करण कुमार दोनों एक साथ किराये पर रहते हैं। करीना के पिता भरत कुमार की सुनने की क्षमता 10 प्रतिशत है, इसलिए भाई के साथ मिलकर ठेला लगाते हैं।करीना का पूरा परिवार छत्तीसगढ़ में एक कच्चे घर में रहता है । उसके पिता चौथी पास तो मां 12वीं पास है । करीना के पिता और चाचा दोनो भाई दिल्ली में मजदूरी करते थे । बड़े भाई मिस्त्री थे तो वहीं छोटा भाई फोरमैन थे। कोटा में यहां रोड नं.1 पर ही एक मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट बनना था, तो निर्माण कार्य से जुड़ी कंपनी ने इन्हें कोटा भेज दिया ।रोजगार के लिए कोटा आ गए। यहां काम किया, जो पैसा बचता था, उसे छत्तीसगढ़ भेज देते थे। इसी से परिवार चलता था।
इसी दौरान COVID की काली छाया पूरे देश पर पड़ गई। बेरोजगारी से हालात खस्ती हो गई। दोनों भाई COVID के दौरान कोटा में ही फस गए। धीरे-धीरे सारे पैसे भी खत्म हो गए। एक वक्त तो ऐसा आया कि हमें कोचिंग संस्थानों और समाजसेवियों ने मदद की, जिससे दो वक्त का खाना मिल सका। सारी जमा पूंजी खर्च हो गई। खाने के लिए भी पैकेट देने आने वालों का इंतजार करना पड़ता था। जैसे-तैसे समय निकला।
कुछ समझ नहीं आया तो जूक का ठेला लगाया
जब ल़ॉकडाउन खत्म हुआ तो रोजगार का संकट सामने आ गया। जब कुछ समझ नही आया तो दोनों भाइयों ने रोड पर ही ठेले लगा बच्चों के लिए चाय-पानी और जूस का काम शुरु कर दिया। इसी दौरान बेटी करीना ने भी छत्तीसगढ़ में 2022 में दसवीं अच्छे नंबर से पास की। इधर भरत कुमार ( पिता) और चाचा ने पढ़ाई के महत्व के समझा। करीना पढ़ाई में अच्छी थी तो सोचा कि उसको भी कोटा बुला लें। परिवार में चर्चा की और वर्ष 2023 में करीना को कोटा बुलाया। इस तरह से करीना का कोटा में आना तय हुआ ।