राजस्थान: कोरोना महामारी के संक्रमण के डर से लगभग 8 महीने तक पूरी तरह ठप रहा राजस्थान का पर्यटन उद्योग दीपोत्सव की सीजन में परवान चढऩे ही लगा था कि गुजरात में कर्फ्यू के डर से यहां सैर-सपाटे के लिए आए सैलानियों ने दोबारा घर का रूख करना शुरु कर दिया। इससे पर्यटन सीजन को एक बार फिर बड़ा झटका लग गया है।
राजस्थान में बीते 8 माह तक पर्यटन सीजन पूरी तरह से ठप रही और दिवाली सीजन में सैलानियों की आवक शुरू हुई। पर्यटन व्यवसायियों को इस सीजन से काफी उम्मीदें थी। उनकी उम्मीदों को पंख भी लगे और एकाएक बड़ी तादाद में सैलानी जैसलमेर पहुंचे। स्थानीय लोगों के चेहरों पर रौनक आ गई। जितनी उम्मीद थी उससे कहीं ज्यादा सैलानी गुजरे चार दिन में यहां पहुंचे। पूरा शहर गुजरात पासिंग की गाडिय़ों से अटा था।
होटलों के साथ रिसोर्ट भी फुल होने लगे थे। दम तोड़ रहे पर्यटन सीजन को ऑक्सीजन मिल गई थी। अच्छी संख्या में सैलानियों के आने से संभावना जताई जा रही थी कि अब लगातार पर्यटकों की आवक बनी रहेगी और पर्यटन व्यवसाय को राहत मिल जाएगी। लेकिन, गुजरात सरकार द्वारा गुजरात प्रदेश में कफ्र्यू लगाने का निर्णय लेते ही जैसलमेर आए गुजराती सैलानी एकाएक लौटने लगे।
हालांकि कफ्र्यू तीन दिन का था और रात्रिकालीन कफ्र्यू अभी भी जारी है, लेकिन लॉकडाउन के अनजाने भय के चलते गुजराती सैलानियों से जैसलमेर पूरा खाली हो गया। एकाएक सभी सैलानी लौटने लगे और नए सैलानियों की आवक थम गई। यहां सैर-सपाटे के लिए आए लगभग सभी सैलानी लौट चुके हैं और नए सैलानियों के कदम पूरी तरह से थम चुके हैं।
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पर्यटन विभाग के कार्मिक खेमेन्द्र सिंह जाम ने बताया कि बीते 4 दिनों में जैसलमेर गुजराती सैलानियों से गुलजार था, लेकिन एकाएक सैलानी यहां से लौटने लगे। पर्यटन कारोबार से जुड़े ऋषि तेजवानी ने बताया कि दीपोत्सव के बाद यहां आए गुजराती सैलानियों से उम्मीद बंधी थी कि पर्यटकों का सूखा अब खत्म होगा, लेकिन गुजरात के शहरों में नाइट कफ्र्यू लगाने से गुजराती सैलानी डर के मारे लौटने लगे। जैसलमेर से कनेक्टिविटी की भी समस्या है।
ट्रेनें नहीं चलने की वजह से भी सैलानी कम आ रहे हैं। अब 15 दिसम्बर के बाद अगर कोरोना के मरीज कम होते हैं तो न्यू इयर सेलिब्रेशन के लिए सैलानी थार रेगिस्तान का सौंदर्य देखने के लिए जैसलमेर का रूख कर सकते हैं।
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