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बिना परीक्षा प्रमोट नहीं होंगे अंतिम वर्ष के छात्र : सुप्रीम कोर्ट

छह राज्यों ने कोर्ट में रिव्यू पिटीशन भी लगाई

नई दिल्ली : कोरोना वायरस (Corona Virus) के दौरान कॉलेज की फाइनल ईयर (Final Year) की परीक्षाएं करवाने के खिलाफ दायर अर्जी (Filed application) पर उच्चतम न्यायालय (Superem Court) ने शुक्रवार को फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी (UGC) की 6 जुलाई की गाइडलाइंस (Guidelines) को सही माना है। सर्वोच्च अदालत ने कहा, ‘राज्यों को परीक्षा रद्द करने का अधिकार है, लेकिन स्टूडेंट्स (Students) बिना परीक्षा (Exam) दिए प्रमोट नहीं होंगे।

हालांकि, मौजूदा हालात में डेडलाइन को आगे बढ़ाने और नई तारीखों के लिए राज्य यूजीसी से सलाह करके फैसला ले सकते हैं।’ जस्टिस अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan), आर सुभाष रेड्डी (Subhash Reddy) और एमआर शाह (M R Shah) की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कहा कि यह छात्रों के भविष्य का मामला है। देश में हायर एजुकेशन (Higher Education) के स्टैंडर्ड (Standard) को भी बनाए रखना जरूरी है। हालांकि, कोर्ट ने राज्यों को थोड़ी राहत देते हुए कहा कि महामारी की वजह से अगर वे परीक्षाएं नहीं करवा सकते तो नई तारीखों के लिए यूजीसी से सलाह लेनी होगी।

राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम (State disaster management act) के तहत परीक्षाओं की डेडलाइन (Deadline) आगे बढ़ाने पर फैसला ले सकते हैं, लेकिन छात्रों के भविष्य को देखते हुए यूजीसी की गाइडलाइंस के हिसाब से ही चलना होगा। यूनिवर्सिटी (University) और दूसरे हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की फाइनल ईयर या सेमेस्टर की परीक्षाओं को 30 सितंबर तक कराने की यूजीसी की गाइडलाइन को चुनौती देनी वाली अर्जियों पर 18 अगस्त को आखिरी सुनवाई हुई थी। लेकिन, उस दिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इस दौरान महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और ओडिशा की दलीलें भी सुनी गईं। इन राज्यों ने परीक्षाएं रद्द करने का फैसला खुद ही ले लिया था। सुनवाई के दौरान यूजीसी ने इन राज्यों के फैसले को कानून के खिलाफ बताया था। सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट में कहा कि फाइनल ईयर की परीक्षा कराना ही छात्रों के हित में है। सरकार की ओर से यूजीसी का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने रखा था। उन्होंने कहा कि परीक्षा के मामले में नियम बनाने का अधिकार यूजीसी के पास ही है। कुछ छात्र भी फाइनल ईयर की परीक्षाएं रद्द करने की मांग कर रहे थे।

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