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पॉक्सो एक्ट और 376 से संबंधित एफआईआर सार्वजनिक नहीं की जा सकती : HC

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप (376) पीड़ितों की पहचान उजागर करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार और कुछ सोशल मीडिया साइट्स को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया है।

याचिकाकर्ता मनन नरुला की ओर से वकील जीवेश तिवारी ने कहा

कुछ मीडिया संस्थान और सोशल मीडिया में रेप पीड़ित की पहचान को उजागर किया गया है। ऐसा कर इन मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया साइट्स ने भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए का उल्लंघन किया है। याचिका में कहा गया है कि रेप पीड़ित की पहचान को उजागर कर निपुण सक्सेना के केस में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया है।

याचिका में कहा गया

सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया इत्यादि पर पीड़ित का नाम या पहचान उजागर नहीं करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया था। यहां तक कि अगर पीड़ित की मौत हो गई हो तब भी पीड़ित की नजदीकी रिश्तेदार या सेशंस जज की अनुमति के बिना नाम या पहचान उजागर नहीं किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिशानिर्देश में कहा

भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376ए, 376बी, 376सी, 376डी, 376डीए या 376ई के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट से संबंधित एफआईआर भी सार्वजनिक नहीं की जा सकती हैं। दिशानिर्देश में पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे पीड़ित से संबंधित सभी दस्तावेज सीलबंद कवर में रखेंगे, जिससे पहचान उजागर न हो।

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