दिनदहाड़े लखनऊ हाईकोर्ट में फायरिंग… गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा की हत्या
नई दिल्ली। लखनऊ कोर्ट परिसर से ताबड़तोड़ फायरिंग का मामला सामने आया है। इस फायरिंग की जद में आकर कुख्यात शूटर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा मारा गया है। कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी संजीव जीवा का नाम शामिल था। वहीं, इस फायरिंग में एक बच्ची के अलावा एक महिला के भी गोली लगने की खबर है। फिलहाल, हमलावर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले हमलावर को मौके पर मौजूद लोगों ने पकड़कर बहुत पीटा था। वहीं, लखनऊ कोर्ट परिसर में मौजूद अधिवक्ताओं में इस हत्याकांड के बाद आक्रोश देखने को मिल रहा है। इस घटना के बाद पुलिसबलों की मौजूदगी बढ़ा दी गई है। अधिवक्ता लगातार सवाल उठ रहा है कि आखिर कैसे कोई हमलावर पुलिस अधिवक्ता में किसी को मारा जा सकता है। अधिवक्ताओं ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि इलाहाबाद जैसे प्रकरण अब राजधानी लखनऊ में दोहराने की कोशिश की गई है, जिसमें हमलावर को सफलता मिली है।
वकील के भेष में आया था हमलावर
हमलावर वकील के भेष में आया था, ताकि किसी को भी उस पर शक ना हो। मीडिया से बातचीत के दौरान कोर्ट परिसर में मौजूद अधिवक्ताओं ने बताया कि उन्हें बिल्कुल भी शक नहीं था कि हमलावर वकील के भेष में आया है। वहीं, इस फायरिंग की जद में आकर एक पुलिसकर्मी के भी घायल होने की खबर है। बता दें कि संजीव जीवा बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त दिवेदी की हत्या का आरोपी था। गोली लगने के बाद संजीव की मौके पर ही मौत हो गई। संजीव के बारे में बताया जाता है कि वो मुख्तार अंसारी का करीबी भी है। संजीव जीवा कई मामलों में अभियुक्त था, जिसे लेकर उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जा रही थी। संजीव मुजफ्फरनगर का रहने वाला था। संजीव जीवा के बारे में बताया जाता है कि वह मुख्तार अंसारी का शूटर भी रहा है। इसके अलावा कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में भी उसका नाम सामने आया था। संजीव जीवा लंबे समय से मैनपुरी जेल में बंद था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नब्बे के दशक में संजीवा जीवा ने अपने खौफ की कहानी लिखना शुरू किया था। इसके बाद उसका खौफ इस कदर अपने चरम पर पहुंच गया कि उसकी इजाजत के बिना एक पत्ता तक नहीं हिलता था। नब्बे के दशक के दिनों उसने सबसे पहले कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का अपहरण करके उससे दो करोड़ की फिरौती मांगी थी। उन दिनों दो करोड़ की रकम बहुत बड़ी थी। हालांकि, आज भी है। इसके बाद जीवा ने 10 फरवरी 1997 को भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी को मौत के घाट उतार दिया। इस मामले में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसके बाद संजीव जीवा मुन्ना बजरंगी गैंग में शामिल हो गया। इसके बाद वो मुख्तार अंसारी के संपर्क में आया।