‘दिल्ली के छात्र पर यूक्रेन में कई बार फायरिंग’, भारत की रूस-यूक्रेन से ‘स्थानीय युद्धविराम’ की अपील’
नई दिल्ली/मॉस्को/कीव: दो दिनों में दूसरी बार, भारत सरकार ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि, यूक्रेनी सेना ने खारकीव रेलवे स्टेशन पर 3 हजार से ज्यादा भारतीय नागरिकों को बंधक बना रखा है। यानि, भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि, यूक्रेन में भारतीय नागरिकों को बंधक बनाने वाली खबर गलत है, यहां तक की भारत सरकार की तरफ से कहा गया है कि, भारत की तरफ से छात्रों को निकालने के लिए ‘स्थानीय सीजफायर’ की अपील भी की गई थी।
यूक्रेन ने नहीं बनाया छात्रों को बंधक
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, उन्हें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है, जिसे पता चले कि, यूक्रेन में भारतीय छात्रों को बंधक बनाया गया है, यहां तक की छात्रों को निकालने के लिए भारत की तरफ से ‘स्थानीय युद्धविराम’ के लिए भी कहा गया था, ताकि फंसे हुए छात्रों को पूरी सुरक्षा के साथ बाहर निकाला जा सके। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कह कि, अनुमानित 2 हजार के करीब छात्रों के लिए पूर्वी यूक्रेन में 40 से 60 किलोमीटर दूर सीमा पर बसें प्रतीक्षा कर रही हैं, ताकि युद्धग्रस्त देश से भारतीय नागरिक बाहर निकल सकें।
पुतिन के बयान पर प्रतिक्रिया
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस दावे पर, कि यूक्रेनी सेना भारतीय छात्रों को बंधक बना रही है, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शुक्रवार को कहा कि, ‘हमने कल ही बयान जारी किया था और हम एक बार फिर से स्पष्ट करना चाहते हैं…मुझे किसी भी भारतीय के बंधक बनाने की जानकारी महीं है। मेरा मतलब है, शायद ऐसी कुछ जानकारी आपके पास हो और मेरे पास नहीं हो। हां, वहां से उन्हें बाहर निकलने में परेशानी हो रही है, लेकिन वो सुरक्षा की स्थिति की वजह से। खासकर सुमी और खारकीव शहर में। लेकिन, मुझे अब तक किसी भी भारतीय के बंधक बनाए जाने की जानकारी नहीं मिली है।’ आगे भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जोर देते हुए कहा कि, ‘आपको हमेशा उनसे सवाल पूछना चाहिए, जिन्होंने वो बयान दिया है, हमसे क्यों ये सवाल पूछ रहे हैं?’
जंग का हिस्सा है पुतिन की बयानबाजी?
भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि, पुतिन की ‘बंधक’ टिप्पणी वास्तविकता से अधिक युद्ध-बयानबाजी है। द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि, वहां लगभग सभी भारतीय छात्रों के पास सक्रिय मोबाइल फोन कनेक्शन थे और वे अपने माता-पिता, भारत सरकार के प्रतिनिधियों और कई मामलों में मीडिया के संपर्क में थे। अधिकारी ने कहा कि, “उनमें से किसी ने भी उनके(यूक्रेनी सेना) कैद में होने या बंधक बनाए जाने या उनकी इच्छा के विरुद्ध हिरासत में लिए जाने की किसी भी स्थिति का वर्णन नहीं किया है।” अधिकारी ने आगे कहा कि, “हां, उन्होंने कहा होगा कि कुछ यूक्रेनी अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे हैं, और हम उस पर काम करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।”
छात्रों को लाने में कोई कीमत नहीं
भारत सरकार के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि, भारतीय छात्रों की “रिलीज” के लिए कोई कीमत नहीं रखी गई है। उन्होंने कहा कि, “किसी भी भारतीय छात्र ने यह नहीं कहा है कि, निकासी स्थलों तक उनकी सुरक्षित यात्रा के लिए 500 रुपये भी मांगे गए हैं। सरकार के पास फिरौती की कोई मांग नहीं आई है। तो हम इसे बंधक स्थिति के रूप में कैसे वर्णित कर सकते हैं?” इस बीच, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची की प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुताबिक, अभी तक कुल मिलाकर 2000-3000 भारतीय छात्र और फंसे हुए हैं। जिनमें खारकीव में 300, सूमी में 700 छात्र फंसे हुए हैं, जहां भीषण लड़ाई जारी है। वहीं, खारकीव के एक उप-नगर पिसोचिन में 900 से कुछ ज्यादा छात्र फंसे हैं, जिन्हें बसों जरिए पश्चिमी सीमा पर या तो लविवि या मोल्दोवा के रास्ते बाहर निकाला जा रहा था, जहां 1,000 से कम का एक और बैच है।
छात्रों को निकालने में सबसे बड़ी दिक्कत?
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि, “(मुख्य) समस्या यह है कि इन छात्रों को खारकीव, सूमी और अन्य क्षेत्रों में अपने स्थान से रूस के साथ लगने वाली पूर्वी सीमा पर कैसे लाया जाए… जहां बसें इंतजार कर रही हैं, लेकिन इन रास्तों पर लड़ाई चल रही है औऱ ये रास्ता करीब 50 से 60 किलोमीटर का है और इतनी दूरी तक छात्र चलकर भी नहीं जा सकते हैं। हम उस क्षेत्र से छात्रों के लिए सुरक्षित मार्ग चाहते हैं… रूसियों और यूक्रेनियन के बीच स्थानीय युद्धविराम के बिना हमें इन छात्रों को बसों तक ले जाना मुश्किल है। हम उस हिस्से को पार नहीं करना चाहते, जहां यह जोखिम भरा हो… हम अपील करते हैं और पार्टियों से स्थानीय संघर्ष विराम का आग्रह करते हैं”। उन्होंने कहा कि, कल इस आश्वासन पर कि रूस और यूक्रेन नागरिकों को बाहर निकलने में मदद करने के लिए ‘मानवीय गलियारे’ बनाने पर सहमत हुए हैं, बागची ने कहा कि, “हमने कार्यान्वयन के मामले में आगे कुछ भी नहीं देखा है… अगर ऐसा होता है, तो यह निश्चित रूप से हमारी प्रक्रिया में मदद करेगा।”
दिल्ली के छात्र को हुई थी मारने की कोशिश
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि, करीब 20,000 भारतीय नागरिक अब तक युद्धग्रस्त यूक्रेन की सीमाओं को पार कर चुके हैं। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि, यूक्रेन में दिल्ली के एक छात्र को कई बार गोली मारने की रिपोर्ट सामने आई, लेकिन चमत्कारिक रूप से वो हमले से बच गया।